छत्तीसगढ़
अंशकालिक स्कूल सफाई कर्मचारी दो महीने से आंदोलन कर रहे हैं, यह आंदोलन अनिश्चितकालीन हड़ताल में बदल चुका है।

छत्तीसगढ़ के अंशकालिक स्कूल सफाई कर्मचारी (पार्ट-टाइम स्कूल स्वच्छता कर्मी) पिछले लगभग दो महीने से लगातार आंदोलन कर रहे हैं, और अब यह आंदोलन अनिश्चितकालीन हड़ताल में बदल चुका है।

पृष्ठभूमि और कारण
- संख्या: प्रदेशभर में लगभग 43,301 अंशकालिक सफाई कर्मचारी
- मुख्य मुद्दे (संभावित):
- नौकरी का स्थायीकरण
- वेतनमान और भत्तों में वृद्धि
- काम के घंटे और सामाजिक सुरक्षा लाभ
- कर्मचारियों का कहना है कि उनकी मांगें लंबे समय से लंबित हैं और बार-बार आश्वासन मिलने के बावजूद ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

अब तक का आंदोलन क्रम
- 15 जून 2025: प्रांतीय आह्वान पर अनिश्चितकालीन हड़ताल की शुरुआत
- 2 जून: सभी ब्लॉक मुख्यालय स्तर पर हड़ताल/धरना
- 6 जून: जिला मुख्यालय स्तर पर प्रदर्शन
- 10 जून: प्रदेश मुख्यालय (नया रायपुर, तूता धरना स्थल) पर धरना
- ज्ञापन सौंपना: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, स्कूल शिक्षा सचिव और लोक शिक्षण संचालनालय के संचालक को ज्ञापन दिए गए।
- 16 जुलाई: मुख्यमंत्री निवास घेराव का प्रयास — पुलिस से धक्का-मुक्की हुई।
- 17 जुलाई: मंत्रालय में शिक्षा सचिव के साथ बैठक, जिसमें मांगें मुख्यमंत्री तक पहुंचाने का आश्वासन मिला।
- 12 अगस्त: केशकाल घाटी (बस्तर) में सड़क जाम, फिर भी कोई सुनवाई नहीं।
वर्तमान स्थिति
- एक महीने से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी कोई ठोस समाधान या आदेश जारी नहीं हुआ।
- कर्मचारी संगठन ने अब आंदोलन को और तेज करने का निर्णय लिया है।
अगला कदम
- 17 अगस्त 2025:
- स्थान: नया रायपुर, तूता धरना स्थल
- कार्यक्रम: प्रदेश पदाधिकारियों और सभी जिला अध्यक्षों की बैठक
- एजेंडा:
- दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना देने की रणनीति बनाना
- आंदोलन के अगले चरण में बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय स्तर पर मुद्दा उठाना
- यह संकेत है कि मामला अब राज्य से बाहर केंद्र सरकार और राष्ट्रीय मीडिया तक ले जाने की तैयारी में है।
राजनीतिक और सामाजिक महत्व
- यह आंदोलन न सिर्फ स्कूल सफाई कर्मचारियों की रोज़गार और वेतन से जुड़ी समस्या है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था में बुनियादी सेवाओं की गुणवत्ता से भी जुड़ा है।
- लंबे समय तक सफाई कर्मियों की हड़ताल का असर स्कूलों की स्वच्छता, बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा माहौल पर पड़ेगा।
- सरकार पर दबाव बढ़ाने के लिए दिल्ली में प्रदर्शन का फैसला दर्शाता है कि संगठन अब अधिक राजनीतिक दबाव और जनसमर्थन जुटाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।