छत्तीसगढ़
अमरकंटक के मृत्युंजय आश्रम में 5 अगस्त 2025 को 50,000 से अधिक कांवड़ियों व श्रद्धालुओं ने प्रसादी ग्रहण की…

अमरकंटक के मृत्युंजय आश्रम में 5 अगस्त 2025 (पवित्र सावन मास के अंतिम सोमवार) को 50,000 से अधिक कांवड़ियों व श्रद्धालुओं ने प्रसादी ग्रहण की..

📅 घटना का संक्षिप्त विवरण
- तारीख एवं अवसर: 5 अगस्त 2025, सावन मास का अंतिम सोमवार—शिवभक्ति की छटा के बीच अमरकंटक में विशेष आयोजन हुआ ।
- संख्या: अकेले मृत्युंजय आश्रम में ही लगभग 50,000 श्रद्धालुओं ने निरंतर प्रसादी ग्रहण की।

🛕 मृत्युंजय आश्रम की व्यापक सेवा व्यवस्था
सेवा के पहलू:
- निःशुल्क भोजन एवं प्रसादी: सुबह चाय-नाश्ता, दोपहर और रात्री में सात्विक भोजन एवं प्रसाद वितरित किया गया ।
- विश्राम एवं ठहरने की सुविधा: आश्रम में आने वाले यात्रियों को स्वच्छ आवास, पेयजल, शौचालय व प्राथमिक चिकित्सा मुफ्त उपलब्ध करवाया गया।
- नाश्ते का वितरण: यात्रियों को पोहा, चाय, बिस्किट, सेव‑बूंदी जैसे हल्के नाश्ते का सुबह में वितरण किया गया ताकि लंबी यात्रा में थकावट न हो 。

आयोजन एवं प्रबंधन:
- इस सेवा को उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा की विशेष पहल एवं कवर्धा विधायक के निर्देशों पर संचालित किया गया। उन्होंने स्वयं कांवड़ियों को भोजन परोसा था, जिससे लगभग 18,000 श्रद्धालुओं को सीधे लाभ मिला ।
- स्थानीय प्रशासन व समिति (जिला बोल-बम समन्वय समिति) ने मार्ग में ग्राम स्तर पर भी सेवा योजनाएं संचालित की—रास्ते में पेयजल, विश्राम, प्राथमिक उपचार और स्वल्पाहार की व्यवस्था की गई ।
कार्यक्रम का माहौल:
- आश्रम परिसर में दिन-रात भक्ति गीत, “बोल बम” जयघोष और डमरू की थाप गूंज रही थी, जिससे पूरा स्थान शिवमय प्रतीत हो रहा था ।
- श्रद्धालु भगवा वस्त्र, शोभायात्राओं और कावड़ सज्जाओं के साथ आस्था-भाव से जुड़े हुए थे।
📌 सारांश तालिका
बिंदु | विवरण |
---|---|
तारीख | 5 अगस्त 2025 (सावन मास का अंतिम सोमवार) |
स्थान | मृत्युंजय आश्रम, अमरकंटक |
श्रद्धालुओं की संख्या | 50,000 से अधिक |
प्रदाता सुविधाएं | भोजन, प्रसादी, नाश्ता, आवास, स्वास्थ्य, पेयजल, शौचालय |
प्रमुख आयोजक | उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा, जिला प्रशासन, समन्वय समिति |
माहौल | भक्ति‑पूर्ण, शिवमय ध्वनि, आस्था की शान |
🌿 निष्कर्ष
यह आयोजन केवल एक धार्मिक सेवा नहीं था, बल्कि भक्ति, सेवा और सामूहिक सहयोग का एक प्रेरणादायक उदाहरण बना। मृत्युंजय आश्रम में लाखों सैलानियों की सेवा‑सुविधा और प्रसादी वितरण के माध्यम से सावन मास की इस पावन यात्रा का स्वरूप और भी दिव्य बन गया।