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Aditya Narayan ने पिता Udit Narayan को लेकर किया बड़ा खुलासा ….

मुंबई। पॉपुलर सिंगर उदित नारायण के बेटे आदित्य नारायण ने हाल ही में एमएक्स प्लेयर के रिएलिटी शो Rise and Fall में अपने बचपन और पेरेंटिंग के बारे में खुले तौर पर बातें कीं। उनके बयानों से पता चलता है कि उनके पिता न केवल अपने प्रोफेशनल जीवन में सफल रहे, बल्कि घर पर भी बहुत सख्त और अनुशासनप्रिय रहे — और उस सख्ती का असर आदित्य की परवरिश और करियर दोनों पर पड़ा।

शो में क्या कहा — कुछ मुख्य उद्धरण

आदित्य ने शो में बताया कि उनके पिता ने “18 साल की उम्र तक अनुशासन का पूरा ध्यान रखा” और वे उन्हें सख्ती से संभालते थे — यहाँ तक कि “मुझे बहुत पीटा जाता था”। आदित्य ने स्वीकार किया कि उस दौर में ऐसी पेरेंटिंग आम थी और दोस्तों के बीच वे लोग यह भी टेबल कर लेते थे कि किसको सबसे ज्यादा पिटाई मिली।

इसी बयान में उन्होंने यह भी कहा कि पिता हर महीने उनके साथ मात्र “तीन-चार दिन” गुजार पाते थे, इसलिए उन चंद दिनों में उदित नारायण चाहते थे कि वे ज़िन्दगी की जितनी सीख दे सकें दे दें — प्यार भी और अनुशासन भी। आदित्य ने यह भी कहा कि उनके पिता कभी उनकी अचीवमेंट्स की तारीफ नहीं करते थे, फिर भी वे मानते हैं कि “आज मैं जो हूँ, वो बनने के लिए उन्होंने ही प्रेरित किया” — यानी एक तरह से उनकी पेरेंटिंग का असर काम आया।

पिता-पुत्र संबंध — सख्ती, प्यार और संतुलन

आदित्य के शब्दों से साफ़ दिखता है कि उनके पिता ने एक तरह का कठोर पर प्यार भरा पेरेंटिंग मॉडल अपनाया — जहाँ सख्ती और अनुशासन के साथ साथ प्रेम भी दिया गया। आदित्य ने खुद माना कि आज की तुलना में उस ज़माने में बच्चों पर हाथ उठाना ज्यादा सामान्य माना जाता था, और इसलिए उनके अनुभवों को उन्होंने उस सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भ में रखा।

उनके बयान का एक अहम बिंदु यह भी है कि पिता के पास समय की कमी (काम की व्यस्तता) थी, इसलिए जब वे उपलब्ध रहते थे तो वह हर संभव कोशिश करते थे कि अपने बेटे को ज़िन्दगी के महत्वपूर्ण सबक और भावनात्मक समर्थन दोनों दे दें — इसलिए प्यार के साथ-साथ सख्ती भी दिखती थी।

आदित्य का करियर और पहचान

आदित्य नारायण को दर्शक ज़्यादातर ‘सा रे गा मा पा’ श्रृंखला की होस्टिंग और बतौर सिंगर-परफॉर्मर के रूप में जानते हैं। इसके साथ ही उन्होंने अपने करियर की शुरूआत बच्चे के रूप में कुछ फिल्मों में एक्टिंग करके भी की — चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में वे रंगीला (1995), परदेस (1997) और जब प्यार किसी से होता है (1998) जैसी फिल्मों में दिखाई दे चुके हैं। आज वे सिंगिंग-फ्रेमवर्क में खुद की अलग पहचान बना चुके हैं और टीवी/डिजिटल शोज़ में सक्रिय हैं — और हालिया खुलासे ने उनके निजी जीवन का एक नया पहलू जनता के सामने रखा है।

क्या सीख मिलती है — थोड़ी सोच-परख

आदित्य के अनुभव से कुछ सामान्य बिंदु निकल कर आते हैं:

  • पारिवारिक सफलता का मतलब ज़रूरी नहीं कि पालन-पोषण में कोमलता हो — कभी-कभी सख्ती भी प्रेरणा बन सकती है।
  • माता-पिता की व्यस्तता का असर बच्चों पर पड़ता है; कम समय मिलने पर माता-पिता उन अल्प समयों में ज़्यादा गहन सीख देने की कोशिश करते हैं।
  • तारीफ न मिलना हर बार विनाशकारी नहीं होता; कई बार यही कठिनाइयाँ बच्चे को आत्म-प्रेरित और मेहनती बनाती हैं — जैसा कि आदित्य ने खुद माना है।

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