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“आज लद्दाख की लड़ाई, कल पूरे देश की बन सकती है, अब चुप नहीं बैठा जा सकता’ : अरविंद केजरीवाल

लद्दाख में पिछले काफी समय से राज्य का दर्जा बहाल करने और छठी अनुसूची लागू करने की मांग हो रही है। लद्दाख को 2019 में जम्मू-कश्मीर से अलग कर केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था। तब से स्थानीय लोग और संगठन लगातार अपनी राजनीतिक हिस्सेदारी और अधिकारों के लिए आंदोलन कर रहे हैं।

लेह में हिंसा

  • बुधवार को लेह एपेक्स बॉडी (LAB) की अगुवाई में हो रहे आंदोलन के दौरान हालात बिगड़ गए।
  • प्रदर्शनकारियों ने गुस्से में भाजपा कार्यालय और कई वाहनों में आग लगा दी
  • पूरा शहर बंद रहा और जगह-जगह धुएं और आग की लपटें उठती दिखीं।
  • इस हिंसा में चार लोगों की मौत हुई और कई लोग घायल हो गए।
  • सुरक्षा की दृष्टि से प्रशासन ने BNSS की धारा 163 के तहत कर्फ्यू जैसी निषेधाज्ञा लागू कर दी, जिससे पांच से ज्यादा लोग एकत्र नहीं हो सकते।

अरविंद केजरीवाल का बयान

  • आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र पर सीधा हमला बोला।
  • उनका कहना था:
    • “आज लद्दाख की लड़ाई है, कल यह पूरे देश की लड़ाई बन सकती है। अगर हम चुप रहे तो लोकतंत्र कमजोर होगा।”
    • “बीजेपी सत्ता के नशे में राज्यों को केंद्र शासित प्रदेश बना रही है और संवैधानिक अधिकार छीन रही है।”
    • “लद्दाख के लोग सिर्फ अपने वोट का अधिकार और सरकार चुनने का अधिकार मांग रहे हैं, लेकिन भाजपा उनकी आवाज दबा रही है।”
  • केजरीवाल ने यह भी कहा कि लोकतंत्र जनता की आवाज है और अगर सरकार इसे दबाती है तो जनता को और बुलंद आवाज में बोलना चाहिए।

राजनीतिक असर

  • लद्दाख की हिंसा ने राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक माहौल गरमा दिया है।
  • विपक्ष इसे केंद्र सरकार की असफलता बता रहा है, जबकि भाजपा सरकार पर दबाव है कि वह जल्द कोई ठोस समाधान निकाले।
  • सुरक्षा एजेंसियां इलाके में तैनात हैं और हालात को काबू करने की कोशिशें जारी हैं।

👉 सार यह है कि लद्दाख की यह हिंसा सिर्फ क्षेत्रीय आंदोलन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे लेकर राष्ट्रीय राजनीति में लोकतंत्र और अधिकारों की बहस तेज हो गई है।

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