आस्था
आज काल भैरव जयंती है — इस अवसर पर विभिन्न धार्मिक स्थलों पर भैरव भक्तों की उपासना होगी,

पूजा-विधि में बताए गए हैं महान लाभ — खबर के अनुसार, भैरव साधना करने से बड़े भय, संकट और दोषों से रक्षा होती है।
साथ ही, आज “गणेश यंत्र” की पूजा-विधि पर भी लेख है — बताया गया है कि यह यंत्र शुभता और लाभ दिलाता है, और इसकी सही स्थापना-पूजा सम्बंधित निर्देश दिए गए हैं।
आज काल भैरव जयंती (Kaal Bhairav Jayanti 2025) है — यह दिन भगवान शिव के भयंकर रूप भैरव के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने ब्रह्मा जी के अहंकार को नष्ट करने के लिए भैरव रूप धारण किया था। यह पर्व विशेष रूप से मार्गशीर्ष माह की कृष्ण अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।

🌕 काल भैरव जयंती का महत्व
- भैरव बाबा को “कासी के कोतवाल” कहा जाता है — अर्थात वे धर्म और न्याय के रक्षक हैं।
- माना जाता है कि भैरव साधना करने से व्यक्ति को भय, शत्रु, ऋण, तंत्र-बाधा, ग्रह-दोष और असुरक्षा से मुक्ति मिलती है।
- जो भक्त आज के दिन उपवास रखकर भैरव की आराधना करते हैं, उन्हें अकस्मात दुर्घटनाओं, नकारात्मक ऊर्जाओं और मानसिक बेचैनी से रक्षा प्राप्त होती है।
🕉️ पूजा-विधि (Kaal Bhairav Puja Vidhi)
- प्रातः स्नान के बाद भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान करें।
- घर या मंदिर में भैरव बाबा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- काले तिल, सरसों का तेल, नींबू, काली उड़द, काले वस्त्र और दीपक से पूजा करें।
- “ॐ भैरवाय नमः” या “ॐ कालभैरवाय नमः” का 108 बार जाप करें।
- काले कुत्ते को भोजन कराना इस दिन अत्यंत शुभ माना गया है, क्योंकि भैरव बाबा का वाहन कुत्ता है।
- दिनभर संयम, दान और जप करने से पुण्यफल कई गुना बढ़ जाता है।
🪔 काल भैरव जयंती के लाभ
- व्यक्ति के जीवन से भय और अवसाद दूर होता है।
- व्यापार, नौकरी और यश में वृद्धि होती है।
- अचानक आने वाली बाधाएँ, दुर्घटनाएँ और रोग से रक्षा होती है।
- जिनके कुंडली में राहु-केतु या शनि दोष हो, उन्हें यह पूजा विशेष रूप से करनी चाहिए।
🕉️ “गणेश यंत्र” की पूजा-विधि
आज के दिन गणेश यंत्र की पूजा का भी विशेष महत्व बताया गया है।
- गणेश यंत्र को लाल या पीले कपड़े पर स्थापित करें।
- “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का 51 या 108 बार जाप करें।
- लड्डू या मोदक का भोग लगाएं।
- यह यंत्र विघ्नों को दूर करने, कार्य-सफलता और समृद्धि लाने में सहायक माना गया है।
🕓 शुभ मुहूर्त
- तिथि: मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष अष्टमी (12 नवम्बर 2025)
- पूजा का सर्वश्रेष्ठ समय: रात्रि 11:30 बजे से 1:00 बजे तक (निशीथ काल)
- रंग: काला और लाल शुभ माना गया है।



