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Wheelchair Astronaut: ब्लू ओरिजिन ने रचा इतिहास, अंतरिक्ष में पहुंची दुनिया की पहली व्हीलचेयर यूजर…

Wheelchair Astronaut: अंतरिक्ष में पहली बार पहुंची व्हीलचेयर यूजर, ब्लू ओरिजिन ने रचा इतिहास

अंतरिक्ष अन्वेषण के इतिहास में एक नया और प्रेरणादायक अध्याय जुड़ गया है। अमेजन के संस्थापक जेफ बेजोस की अंतरिक्ष कंपनी ब्लू ओरिजिन (Blue Origin) ने एक ऐसी उपलब्धि हासिल की है, जिसने दुनिया भर में दिव्यांगजनों के लिए अंतरिक्ष के दरवाजे खोल दिए हैं।
जर्मनी की इंजीनियर माइकेला बेंटहाउस (Michaela Benthaus) अंतरिक्ष में जाने वाली दुनिया की पहली व्हीलचेयर यूजर बन गई हैं।


🚀 न्यू शेपर्ड मिशन NS-37 से ऐतिहासिक उड़ान

  • तारीख: 20 दिसंबर 2025 (शनिवार)
  • लॉन्च साइट: वेस्ट टेक्सास, अमेरिका
  • मिशन: New Shepard NS-37
  • उड़ान प्रकार: सबऑर्बिटल फ्लाइट

इस मिशन के जरिए माइकेला बेंटहाउस ने कार्मन लाइन (करीब 100 किलोमीटर ऊंचाई) पार की, जिसे अंतरिक्ष की आधिकारिक सीमा माना जाता है।
करीब 10 मिनट की इस उड़ान में कुल 6 यात्री सवार थे।

✦ उड़ान के दौरान यात्रियों को
✔ कुछ मिनटों तक भारहीनता (वेटलेसनेस) का अनुभव हुआ
✔ पृथ्वी को अंतरिक्ष से देखने का अद्भुत नजारा मिला


🌟 माइकेला बेंटहाउस की प्रेरक कहानी

33 वर्षीय माइकेला बेंटहाउस पेशे से
👉 यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) में एयरोस्पेस और मेकाट्रॉनिक्स इंजीनियर हैं।

  • साल 2018 में माउंटेन बाइकिंग के दौरान एक गंभीर दुर्घटना में
    उनकी रीढ़ की हड्डी को नुकसान पहुंचा
  • इसके बाद वे पैराप्लेजिक हो गईं और
    उन्हें व्हीलचेयर का सहारा लेना पड़ा

लेकिन इस हादसे ने उनका अंतरिक्ष में जाने का सपना नहीं तोड़ा
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म LinkedIn के जरिए
पूर्व SpaceX इंजीनियर हांस कोएनिग्समैन से संपर्क किया।

👉 हांस ने न सिर्फ उनका हौसला बढ़ाया,
👉 बल्कि ब्लू ओरिजिन के साथ इस ऐतिहासिक उड़ान को स्पॉन्सर करने में भी मदद की


💬 लैंडिंग के बाद माइकेला की भावुक प्रतिक्रिया

अंतरिक्ष से लौटने के बाद माइकेला बेंटहाउस ने कहा—

“मैं बेहद आभारी हूं कि ब्लू ओरिजिन और हांस ने इस यात्रा के लिए हां कहा।
यह मेरे जीवन का सबसे शानदार और अविस्मरणीय अनुभव था।”

उनका यह बयान लाखों लोगों के लिए प्रेरणा बन गया है।


♿ उड़ान के लिए कैसे की गई विशेष व्यवस्था?

ब्लू ओरिजिन का न्यू शेपर्ड कैप्सूल पहले से ही
दिव्यांग-अनुकूल (Accessible Design) है, इसलिए बड़े बदलाव की जरूरत नहीं पड़ी।

माइकेला के लिए की गई खास व्यवस्थाएं:

  • ✔ लॉन्च टावर में पहले से मौजूद लिफ्ट सुविधा
  • ✔ कैप्सूल में चढ़ने के लिए विशेष ट्रांसफर बोर्ड,
    जिससे माइकेला खुद व्हीलचेयर से कैप्सूल में जा सकीं
  • ✔ भारहीनता के दौरान पैरों की सुरक्षा के लिए स्पेशल स्ट्रैप्स
  • ✔ लैंडिंग के बाद रिकवरी टीम ने
    ज़मीन पर कार्पेट बिछाया, ताकि उनकी व्हीलचेयर तुरंत उपलब्ध हो सके

यह दिखाता है कि सही डिजाइन और सोच के साथ
अंतरिक्ष यात्राएं दिव्यांगजनों के लिए भी पूरी तरह संभव हैं


🌍 क्यों है यह मिशन खास?

  • यह उड़ान समावेशन (Inclusion) की दिशा में एक बड़ा कदम है
  • अंतरिक्ष यात्रा को लेकर बनी
    “सिर्फ शारीरिक रूप से सक्षम लोगों के लिए”
    वाली धारणा को तोड़ती है
  • भविष्य में दिव्यांग अंतरिक्ष यात्रियों के लिए नए रास्ते खोलती है

🔚 निष्कर्ष

माइकेला बेंटहाउस की यह यात्रा सिर्फ एक सबऑर्बिटल उड़ान नहीं,
बल्कि हिम्मत, सपनों और तकनीक की जीत है।
ब्लू ओरिजिन की इस ऐतिहासिक उपलब्धि ने साबित कर दिया कि
अगर इरादे मजबूत हों, तो अंतरिक्ष भी सीमाएं नहीं तय कर सकता

यह मिशन आने वाली पीढ़ियों के लिए
“Impossible is nothing” का सबसे बड़ा उदाहरण बन गया है।

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