
इस सम्मेलन का परिचय — DGP-IGP कॉन्फ्रेंस क्या है
- यह सम्मेलन भारत के सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्रीय पुलिस/सुरक्षा एजेंसियों (Central Police Organisations / CAPFs / Intelligence Agencies आदि) के शीर्ष पुलिस अधिकारी (DGPs, IGPs, DGs, ADGs आदि) का वार्षिक (annual) राष्ट्रीय सम्मेलन है।
- शुरू में यह हर दो साल (biennial) आयोजित होता था — लेकिन 1973 के बाद इसे हर साल आयोजित किया जाने लगा।
- सम्मेलन का उद्देश्य — देशभर के पुलिस/सुरक्षा प्रमुखों को एक मंच देना, ताकि वे साझा चुनौतियों, अनुभवों, नई रणनीतियों, सुरक्षा-नीतियों और पुलिसिंग सुधारों पर विचार-विमर्श कर सकें।
इस तरह यह सिर्फ एक सभा नहीं, बल्कि भारत की आंतरिक सुरक्षा, कानून-व्यवस्था, आपराधिक चुनौतियों और आधुनिक पुलिसिंग (नए तरीकों, तकनीक, रणनीतियों) की दिशा तय करने वाला एक राष्ट्रीय नीति-निर्माण मंच है।

✅ इस साल (2025) का 60वाँ सम्मेलन — क्या खास है
- 2025 में 60वाँ सम्मेलन पहली बार Naya Raipur (छत्तीसगढ़) में आयोजित हो रहा है। यह राज्य के लिए गौरव की बात है, और यह दिखाता है कि केन्द्र सरकार ने छत्तीसगढ़ की भूमिका को राष्ट्रीय सुरक्षा के परिप्रेक्ष्य में महत्व दिया है।
- सम्मेलन की तारीख: 28 से 30 नवंबर 2025। मुख्य आयोजन स्थान: Indian Institute of Management, Raipur (IIM-Raipur) परिसर में।
- इसमें भाग ले रहे प्रमुख लोग:
- Narendra Modi — प्रधानमंत्री,
- Amit Shah — केंद्रीय गृह मंत्री (जो उद्घाटन करेंगे),
- Ajit Doval — राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार,
- तथा देश और केंद्र की पुलिस एवं सुरक्षा एजेंसियों के DGP/IG, DG/ADG, केंद्रीय बलों के प्रमुख।
- इसे लेकर राज्य पूरक-तैयारी कर रहा है — सुरक्षा बढ़ाई गई है, नवा रायपुर वीवीआइपी ज़ोन बना है, अलग-अलग प्रशासनिक एवं लॉजिस्टिक इंतजाम किए गए हैं।
🧭 इस साल का एजेंडा / मुख्य विषय (What will be discussed)
इस सम्मेलन का इस बार का थीम है: “विकसित भारत: सुरक्षा आयाम”।
मुख्य विषय/मुद्दे जिन पर चर्चा होगी:
- देश में नक्सलवाद (Left-Wing Extremism / LWE) के खिलाफ रणनीति — विशेष रूप से छत्तीसगढ़ जैसे प्रभावित राज्यों पर ध्यान।
- आतंकवाद, घुसपैठ, सीमांत सुरक्षा, आतंक-रोधी रणनीतियाँ।
- साइबर सुरक्षा, साइबर अपराध, डिजिटल अपराध से निपटने की रणनीतियाँ।
- महिला सुरक्षा, आपदा प्रबंधन, कानून-व्यवस्था, पुलिसिंग सुधार, फॉरेंसिक विज्ञान, एआई (Artificial Intelligence) व आधुनिक तकनीकों का पुलिसिंग में उपयोग।
- समन्वय (coordination) — राज्य पुलिस, केंद्र, इंटेलिजेंस, साइबर, पैरा मिलिट्री आदि एजेंसियों के बीच अंतर-एजेंसी तालमेल और साझा रणनीतियाँ तय करना।
- इस सम्मेलन में यह भी तय किया जाएगा कि किस तरह पुलिस प्रशासन व सुरक्षा व्यवस्था को “आधुनिक, मजबूत और उत्तरदायी (future-ready)” बनाया जाए — यानी एक राष्ट्रीय स्तर की एकीकृत सुरक्षा रूपरेखा (framework) तैयार होगी।
साथ ही इस सम्मेलन में राष्ट्रपति पुलिस पदक (President’s Police Medal) for Distinguished Service आदि पुरस्कार भी दिए जाएंगे।
🎯 क्यों यह सम्मेलन महत्वपूर्ण / क्या असर हो सकता है
- यह भारत में शीर्ष पुलिस और सुरक्षा बलों का सर्वोच्च वार्षिक मंच है — जहाँ देश के अलग-अलग हिस्सों की चुनौतियाँ, अनुभव और समाधान साझा होते हैं। इससे नीतिगत स्तर पर सुधार, साझा रणनीति और बेहतर समन्वय बनता है।
- “विकसित भारत” की यात्रा तभी सफल होगी जब “सुरक्षित भारत” हो — यानी विकास और सुरक्षा साथ साथ हों। यह सम्मेलन उसी दृष्टिकोण को पुष्ट करता है।
- वर्तमान समय में, जैसे नक्सलवाद, साइबर अपराध, आतंक-धमकी, सीमा/सांप्रदायिक सुरक्षा, महिलाओं/कमजोर वर्गों की सुरक्षा — ये ज़रूरी चुनौतियाँ हैं। इस सम्मेलन में उनकी समीक्षा, नयी रणनीतियाँ, आधुनिक तकनीकों (AI, फॉरेंसिक, साइबर टूल्स) के उपयोग से सुधार की रूपरेखा तय होगी।
- यदि सफल हुआ — तो राज्यों और केंद्र की पुलिस/ सुरक्षा एजेंसियों के बीच तालमेल बढ़ेगा; नक्सल-प्रभावित/संकटग्रस्त क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत होगी; सामूहिक रूप से देश की कानून-व्यवस्था और आंतरिक सुरक्षा बेहतर होगी।
- इसके अलावा, यह सम्मेलन उन पुलिस अधिकारियों के लिए भी एक महत्वपूर्ण मंच है, जिन्हें सम्मान (पदक) दिया जाएगा — जिससे उत्कृष्ट सेवा, लोक-विश्वास, जवाबदेही (accountability) को प्रोत्साहन मिलेगा।
📌 इस बार से जुड़ी ख़ास बातें
- छत्तीसगढ़ पहली बार इस सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है — इससे राज्य का राष्ट्रीय सुरक्षा पर बढ़ा हुआ महत्व दिखता है।
- सम्मेलन के दौरान नवा रायपुर को एक तरह से ‘मिनी-पीएमओ’ (mini-PMO) की तरह तैयार किया गया है — जहाँ SPG, केंद्रीय बल, राज्य पुलिस आदि सुरक्षा व्यवस्था संभाल रहे हैं।
- सम्मेलन में सिर्फ डीजीपी/आईजीपी ही नहीं, बल्कि केंद्रीय बलों, इंटेलिजेंस एजेंसियों, साइबर/फॉरेंसिक यूनिट्स और अन्य सुरक्षा निकायों के प्रमुख भी शामिल होंगे — जिससे सुरक्षा व्यू पॉइंट व्यापक और समन्वित होगा।



