छत्तीसगढ़

“कबड्डी वर्ल्ड कप में चमकी छत्तीसगढ़ की संजू — प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट बनीं, सांसद विजय बघेल ने किया सम्मान”

  • संजू देवी यादव, जो कि छत्तीसगढ़ के कोरबा ज़िले के केरकछार गांव (पाली ब्लॉक) की रहने वाली हैं, ने हाल ही में 2025 महिला कबड्डी विश्व कप में शानदार प्रदर्शन किया।
  • भारत की महिला कबड्डी टीम ने फाइनल में Chinese Taipei women’s kabaddi team को 35-28 से हराकर विश्व कप जीता।
  • संजू देवी ने फाइनल में मैच-लीडिंग 16 रेड पॉइंट्स बनाए, जिनमें एक निर्णायक चार-पॉइंट सुपर रेड भी शामिल था — यही शानदार प्रदर्शन भारत को जीत दिलाने में अहम रहा।
  • पूरे टूर्नामेंट में उनकी निरंतर दमदार खेल के कारण उन्हें “प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट” (MVP) चुना गया।

🙌 स्वागत और सम्मान — सांसद विजय बघेल ने क्या कहा?

  • वर्ल्ड कप जीत के बाद संजू देवी 26 नवंबर 2025 को दुर्ग पहुंचीं, जहाँ उन्होंने सांसद विजय बघेल से मुलाकात की।
  • विजय बघेल ने उनकी इस उपलब्धि को “घरेलू मिट्टी से उठकर अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुँचने” की प्रेरणादायक कहानी बताया। उन्होंने कहा कि कबड्डी “मिट्टी का खेल” है — और ऐसे खेल उन तबकों के लिए होते हैं जो मिट्टी से जुड़े, यानी आमतौर पर आर्थिक रूप से सीमित स्तरीय।
  • उन्होंने यह भी बताया कि वे खुद और उनके भाई (शशिकांत बघेल) पहले कबड्डी के राष्ट्रीय खिलाड़ी रहे हैं — इसलिए उन्हें अच्छे से पता है कि यह उपलब्धि कितनी बड़ी है।
  • बघेल ने संजू देवी को भविष्य के लिए शुभकामनाएँ दीं और कहा कि उनका यह सफर पूरे राज्य के लिए गौरव की बात है।

👩‍👧 संजू देवी का सफर — कहाँ से आईं और कैसे बनी सफल?

  • संजू देवी का परिवार आर्थिक रूप से साधारण है — उनके माता-पिता दैनिक वेतन भोगी मजदूर हैं।
  • उन्होंने राज्य के बालिका आवासीय कबड्डी अकादमी (बिलासपुर) से प्रशिक्षण लिया। इसी ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर की तैयारी देने में मदद की।
  • मार्च 2025 में ही उन्होंने 6वीं महिला एशियन कबड्डी चैम्पियनशिप (ईरान) में स्वर्ण पदक जीतकर देश के लिए गौरव बढ़ाया था, जिससे उनका नाम राष्ट्रीय स्तर पर उभरा।
  • वर्ल्ड कप में उनकी सफलता ने यह साबित कर दिया कि मेहनत, संकल्प और सही ट्रेनिंग से ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाली खिलाड़ी भी देश-विदेश तक अपनी छाप छोड़ सकती हैं।

🌟 सामाजिक-राजनीतिक महत्व — क्या संदेश है इस जीत में?

  • संजू की जीत और उनका सम्मान यह दर्शाता है कि मध्य-छत्तीसगढ़ के छोटे-छोटे गाँवों से भी युवा प्रतिभाएँ निकलकर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमक सकती हैं — यह उन लाखों ग्रामीण युवाओं के लिए प्रेरणा है।
  • सांसद विजय बघेल का स्वागत व समर्थन यह संकेत है कि खेल और खिलाड़ियों को राजनीति व समाज में पहचान मिल रही है — इससे भविष्य में खेल के लिए संसाधन, संरचनाएँ और समर्थन बढ़ने की उम्मीद बनती है।
  • इस तरह की उपलब्धियाँ न सिर्फ खिलाड़ी के लिए, बल्कि राज्य व समाज के लिए गौरव और सकारात्मक बदलाव का प्रतीक होती हैं — खासकर महिलाओं व ग्रामीण क्षेत्रों की बेटियों के लिए।
  • यह कहानी साबित करती है कि परिस्थितियाँ चाहे कितनी भी कठिन हों — जरुरी है तो केवल सही दिशा, मेहनत और अवसरों का मिलना।

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