छत्तीसगढ़
गाइडलाइन दर वृद्धि के विरोध में साज़िश — कांग्रेस ने शराब-कोयला-सट्टा का पैसा जमीन में खपाना चाहा“ — ओपी चौधरी

✅ बयान का सार / प्रमुख बिंदु
- ओपी चौधरी ने कहा कि गाइडलाइन दर (भूमि की सरकारी दर) को नहीं बढ़ने देने के पीछे Indian National Congress की “बहुत बड़ी साज़िश” थी।
- उनका आरोप है कि कांग्रेस के कुछ लोग — जिनके पास शराब, कोयला, और महादेव सट्टा जैसे अवैध या सट्टा-धंधों से कमाया गया पैसा था — वह रकम वे जमीन खरीदकर “खपाना” चाहते थे। इसलिए गाइडलाइन रेट न बढ़ने देना चाहते थे, ताकि जमीन कम दाम (लगभग 10 % रेट) पर आसानी से मिल जाए।
- उन्होंने कहा कि यदि गाइडलाइन दर नहीं बढ़ती रही, तो दलालों और धनी लोग कम कीमत में जमीन खरीदकर जमाकर रख लेते — और यह किसान, गरीब, और आम जनता के हितों के खिलाफ था।
- मंत्री ने यह भी जोड़ा कि नई गाइडलाइन दर सिर्फ होम-लोन सुविधा (मध्यमवर्गीय घर लेने वालों) के लिए ही नहीं, बल्कि किसानों को मुआवजा दिलाने, भूमि अधिग्रहण में पारदर्शिता लाने और राज्य की सम्पूर्ण रियल एस्टेट व्यवस्था को ठीक करने हेतु महत्वपूर्ण है।
- साथ ही उन्होंने कहा कि अगर कहीं दर बढ़ाने में त्रुटि हुई है — तो सरकार उसे सुधारने के लिए तैयार है; पर जहाँ-जहाँ भूमि अधिग्रहण या रजिस्ट्रेशन होता है, अगर गाइडलाइन दर कम रहती, तो सीधे तौर पर किसान या सामान्य जमीन मालिकों को नुकसान होता था।
- उन्होंने यह दावा किया कि यह कदम (दर वृद्धि) राज्य की अर्थव्यवस्था व जनता दोनों के लिए लाभकारी है — न कि सिर्फ रजिस्ट्री/रियल एस्टेट व्यापारियों के लिए।

📌 पृष्ठभूमि व प्रासंगिक जानकारी
- दरअसल, हाल ही में राज्य सरकार ने भूमि की गाइडलाइन रेट में 10 % से लेकर 100 % तक की बढ़ोतरी की है।
- यह दर वृद्धि इसलिए की गई है, क्योंकि लंबे समय से सरकारी दरें अपरिवर्तित थीं, जबकि जमीन व रियल एस्टेट मार्केट में कीमतें काफी बढ़ चुकी थीं। नई दरों को लागू करने का उद्देश्य सरकारी मूल्य और असली बाजार मूल्य में अंतर को कम करना बताया गया है।
- नई दरें लागू होते ही पंजीकरण, रजिस्ट्री, स्टांप शुल्क आदि महंगे हो गए — जिससे आम लोग, मध्यम वर्ग और रियल एस्टेट में निवेश करने वाले लोग असहज हुए।
- इसके कारण कई लोगों और व्यापारियों ने विरोध शुरू कर दिया, कहा जा रहा है कि इस कदम से रियल एस्टेट कारोबार धीमा हो जाएगा।
🎯 ओपी चौधरी का उद्देश्य — सरकार का आधार
ओपी चौधरी के मुताबिक:
- यह दर वृद्धि किसी विशेष वर्ग या दलालों के लिए नहीं बल्कि मध्यमवर्ग, किसानों और आम जनता के हित में थी।
- भूमि मूल्य का सुधार — ताकि सरकारी गाइडलाइन दर और असली बाजार दर के बीच बड़ा अंतर न रहे; ताकि अवैध कमाई से जमीनें सस्ती कीमत पर जम्हा न की जा सकें; और पारदर्शिता सुनिश्चित हो।
- यदि कहीं दर तय करने में त्रुटि हुई है — सरकार उसे ठीक करने के लिए तैयार है, लेकिन किसी साजिश के चलते गाइडलाइन रेट को ज्यों का त्यों छोड़ देना — यह सीधे जनता व किसान के हित के खिलाफ था।



