
- कर्नाटक की नई IT पॉलिसी (2025-2030) के अंतर्गत 1,000 मिड-करियर महिलाएं ग्लोबल टेक लीडरशिप रोल के लिए ट्रेन की जाएंगी।
- स्किलिंग, फेलोशिप, मेंटरशिप के जरिए AI गवर्नेंस, साइबरसेक्युरिटी, डेटा प्राइवेसी जैसे क्षेत्रों पर फोकस किया जाएगा।
- कुल बजट में ₹46 करोड़ का प्रावधान किया गया .
कर्नाटक सरकार टेक्नोलॉजी सेक्टर में महिलाओं को लीडरशिप रोल के लिए स्किलिंग देने की महत्वाकांक्षी योजना बना रही है। नीचे इसके पुरे विस्तार से टेक-अपडेट और विश्लेषण है:

📊 योजना का पूरा विवरण
- नीति का नाम और अवधि
- यह कर्नाटक की नई IT पॉलिसी (2025–2030) का हिस्सा है।
- नीति में टेक सेक्टर में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर विशेष जोर दिया गया है।
- लक्षित समूह
- योजना का लक्ष्य है 1,000 मिड-करियर महिलाएं (यानी जो पहले से काम कर रही हैं, तकनीक या अन्य क्षेत्र में)
- इन्हें ग्लोबल टेक लीडरशिप रोल के लिए तैयार किया जाएगा, ताकि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टेक कंपनियों या टेक टीमों में नेतृत्व दे सकें।
- स्किलिंग का फोकस क्षेत्र
प्रशिक्षण और मेंटरशिप के ज़रिए ये महिलाएं निम्नलिखित टेक क्षेत्रों में स्किल हासिल करेंगी:- AI गवर्नेंस: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के नैतिक, नियामक और नीति पक्षों की समझ।
- साइबरसुरक्षा (Cyber-Security): डेटा सुरक्षा, नेटवर्क सुरक्षा, हैकिंग प्रिवेंशन आदि।
- डेटा प्राइवेसी (Data Privacy): यूजर डेटा कैसे सुरक्षित रखें, पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन, रेगुलेशन।
- इसके अलावा फेलोशिप और मेंटॉरशिप प्रोग्राम के माध्यम से नेतृत्व (Leadership) और मैनेजमेंट स्किल्स भी सिखाई जाएंगी।
- बजट
- सरकार ने इस पूरी पहल के लिए ₹46 करोड़ का प्रावधान किया है।
- यह राशि स्किलिंग, मेंटरशिप, फेलोशिप और कार्यक्रम के प्रशासनिक खर्चों के लिए उपयोग होगी।
- लक्षित आउटपुट
- 1,000 महिलाएं ऐसी स्किल्स प्राप्त करेंगी, जो सिर्फ भारत में नहीं, बल्कि वैश्विक टेक कंपनियों या प्रोजेक्ट्स में नेतृत्व की भूमिका निभाने लायक हों।
- यह पहल कर्नाटक को टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब और महिला सशक्तिकरण केंद्र दोनों के रूप में आगे ले जाएगी।
- इसके अलावा, इस नीति से यह संदेश जाता है कि टेक सेक्टर में लैंगिक असमानता (gender gap) को कम करने की दिशा में राज्य सरकार गंभीर है।
🔍 इस पहल का महत्व (Implications)
- महिला प्रतिभा का बेहतर उपयोग: टेक इंडस्ट्री में महिलाएं अब सिर्फ काम करने वालों तक सीमित नहीं रहेंगी, बल्कि नेतृत्व और निर्णय लेने वाली भूमिकाओं में भी आएंगी।
- लॉन्ग-टर्म टेक्नोलॉजी लीडरशिप: ट्रेन की गई महिलाएं टेक कंपनियों में बड़े प्रोजेक्ट्स ले सकती हैं या खुद स्टार्टअप शुरू कर सकती हैं।
- इनोवेशन और विविधता बढ़ेगी: जब टेक टीम्स में विविध पर्सपेक्टिव होंगे, तो उत्पाद और सर्विसेज भी बेहतर और इकलौते नहीं होंगे।
- न्याय और समानता का संदेश: यह कदम लैंगिक असमानता को कम करने में एक ठोस उदाहरण है और टेक्नोलॉजी क्षेत्र में महिलाओं को समान अवसर देने की दिशा में सही दिशा दिखाता है।
- राज्य की टेक इमेज मजबूत होगी: कर्नाटक पहले से टेक हब के रूप में जाना जाता है (बेंगलुरु के कारण), लेकिन ऐसी पहल उसे और प्रगति की ओर ले जाएंगी।



