
- रात-सुबह प्रस्थान (नवा रायपुर → रायपुर एयरपोर्ट)
- 07:25 बजे: अरुण साव नवा रायपुर (एम-6, सेक्टर 24, अटल नगर) से रवाना होंगे।
- उनका गंतव्य रायपुर का स्वामी विवेकानंद विमानतल है, ताकि वहाँ से अगली उड़ान पकड़ सकें।
- पटना का कार्यक्रम
- 08:00 बजे: अरुण साव रायपुर एयरपोर्ट से पटना के लिए उड़ान भरेंगे।
- 10:00 बजे: पटना में गांधी मैदान में आयोजित मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में वे शामिल होंगे। यह समारोह चूंकि मुख्यमंत्री शपथ का है, इसलिए राज्य-राजनीति में यह बहुत महत्वपूर्ण कार्यक्रम माना जाता है।
- सरगुजा (अंबिकापुर) आगमन
- 14:30 बजे: पटना से अरुण साव फिर उड़ान भरेंगे और दरिमा एयरपोर्ट, अंबिकापुर (सरगुजा जिला) के लिए रवाना होंगे।
- 15:30 बजे: वे अंबिकापुर पहुंचेंगे।
- मध्य मार्ग प्रस्थान
- 15:45 बजे: अरुण साव अंबिकापुर से बिलासपुर विमानतल के लिए प्रस्थान करेंगे।
- लोरमी (मुंगेली) दौरा
- 18:00 बजे: वह लोरमी (मुंगेली) के हाई-स्कूल मैदान पहुंचेंगे।
- 20:00 बजे: लोरमी में राऊत नृत्य महोत्सव का कार्यक्रम आयोजित है, जिसमें उपमुख्यमंत्री भाग लेंगे।
- 22:30 बजे: दिन के सभी कार्यक्रमों के बाद अरुण साव वापस नवा रायपुर, अटल नगर लौटेंगे।

इस दौरे के संभावित मायने और रणनीति
- राजनीतिक महत्व:
उपमुख्यमंत्री का शामिल होना मुख्यमंत्री के शपथ-ग्रहण समारोह में दर्शाता है कि छत्तीसगढ़ सरकार एक बड़ी राजनीतिक घटना के हिस्से के रूप में अपनी सक्रियता दिखाना चाहती है। यह सत्ता-प्रदर्शन का एक कमजोर नहीं, बल्कि समर्पित संदेश भी हो सकता है — यह बताने के लिए कि प्रदेश नेतृत्व सिर्फ स्थानीय ही नहीं, राष्ट्रीय और राज्य-स्तरीय आयोजनों में भी शामिल है। - विकास-फोकस:
अंबिकापुर (सरगुजा) और लोरमी (मुंगेली) जैसे क्षेत्रों में उनका दौरा यह संकेत देता है कि उपमुख्यमंत्री विकास-कार्य, जनसमुदायों से संवाद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों को महत्व दे रहे हैं। विशेष रूप से लोरमी में राऊत नृत्य महोत्सव में शामिल होना सामाजिक-संस्कृतिक जुड़ाव और स्थानीय पहचान को मजबूत करने की रणनीति हो सकती है। - जन संपर्क:
यह दौरा जनता के बीच उनकी पहुँच और सुसंगतता दिखाता है। लोरमी के ग्रामीण क्षेत्रों, स्कूल मैदान जैसे सार्वजनिक स्थानों पर उपमुख्यमंत्री का आना आम जनता के बीच उनकी नजदीकी का संदेश देता है। - संकेतित विकास घोषणाएँ:
अक्सर ऐसे दौरों के दौरान उपमुख्यमंत्री नई घोषणाएं कर सकते हैं — विशेष रूप से विकास-परियोजनाओं, आर्थिक सहायता, अवसंरचनात्मक कामों का — जिससे स्थानीय लोगों को यह भरोसा मिले कि सरकार उनकी आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील है। - संस्कृति और विरासत:
राऊत नृत्य महोत्सव में शामिल होकर, साव न केवल राजनीतिक नेतृत्व का प्रतीक बनते हैं, बल्कि लोकसंस्कृति को समर्थन देने की प्रतिबद्धता दिखाते हैं। यह स्थानीय आदिवासी या जनजातीय पहचान को बढ़ाने में भी सहायक हो सकता है।



