देशराजनीति

“समर्थ उत्तर प्रदेश–विकसित उत्तर प्रदेश 2047: योगी सरकार के विजन को दे रहे नागरिक नए आयाम”

सोनभद्र का पर्यावरण-सांस्कृतिक पर्यटन केंद्र बनना, बदाग़ूं के आईटी-आधारित ई-गवर्नेंस का प्रस्ताव, और गौतमबुद्ध नगर का आयुष/सामुदायिक-निवारक स्वास्थ्य सुधार — वे सब “समर्थ उत्तर प्रदेश — विकसित उत्तर प्रदेश @2047” विजन के लिए आपस में पूरक हैं। नीचे हर सुझाव को व्यवस्थित, व्यावहारिक और मापनीय चरणों में विस्तारित करके दिया गया है: लक्ष्यों, जरूरी पहलों, समयरेखा, संस्थागत जिम्मेदारियों, वित्त/स्रोत और मापदंड (KPIs) के साथ — ताकि नीति-निर्माता, नोडल अधिकारी या स्थानीय समुदाय इन्हें सीधे अपनाकर कार्ययोजना बना सकें।


1) सोनभद्र — “ऊर्जा राजधानी” से पर्यावरण-सांस्कृतिक पर्यटन हब तक

मुख्य लक्ष्य (Vision): 2030 तक पर्यटन आगमन में सालाना 12–15% वृद्धि; 2047 तक वार्षिक 5–6 मिलियन आगंतुक; समावेशी आजीविका और स्थानीय सांस्कृतिक/पर्यावरण संरक्षण का संतुलन।

A. प्राथमिक पहलें

  1. पर्यटन सर्किट और उत्पाद विकास
    • सलखन जीवाश्म पार्क, लखनिया दरी, रिहंद बाँध, विजयगढ़ किला को जोड़कर एक सोनभद्र हेरिटेज & एडवेंचर सर्किट बनाना।
    • अलग-अलग उत्पाद बनाएं: विरासत-पर्यटन, फॉसिल-टूरिज्म/एजुकेशनल टूर, एडवेंचर (रॉक-क्लाइम्बिंग, ट्रेकिंग), जल-क्रीड़ा, आदिवासी हस्तशिल्प व सांस्कृतिक फेस्टिवल।
  2. इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधार
    • पीएम-गति-शक्ति के तहत सड़क/रेल कनेक्टिविटी की प्राथमिकता; एयर-लिंक पर अध्ययन (नजदीकी एयरपोर्ट से कनेक्टिविटी)।
    • हर साइट पर बेसिक सुविधाएँ: पर्यटक सूचना केंद्र, साफ-सफाई, व्यावसायिक शौचालय, आपातकालीन चिकित्सा कक्ष, संकेतक (signage), बाउंडरी फेंसिंग (संवेदनशील स्थानों पर)।
  3. पर्यावरण संरक्षण और उत्तरदायी पर्यटन
    • जीवाश्म और संवेदनशील पारिस्थितिकी के लिए संरक्षित क्षेत्र (buffer zones), नियंत्रित विजिटर-क्वोटा व गाइडेड-टूर अनिवार्य।
    • कचरा प्रबंधन (वेस्ट-सेग्रीगेशन, प्लास्टिक बैन/रिडक्शन), जल स्रोत संरक्षण तथा रिहैबिलिटेशन प्लान।
  4. सामुदायिक भागीदारी और रोजगार
    • स्थानीय आदिवासी समूहों को हैंडलिकाफ्ट, होम-स्टे, गाइडिंग, फूड-स्टॉल आदि में प्रशिक्षण और ड्राइरेक्स (market linkages) दें।
    • पर्यटन-रोजगार के लिए माइक्रो-फाइनेंस और स्किल-विकास स्कीम।
  5. मार्केटिंग और ब्रांडिंग
    • “सोनभद्र — भारत की ऊर्जा और विरासत गेटवे” के तहत राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय प्रचार; डिजिटल प्लेटफार्म, इन्फ्लुएंसर, शैक्षिक संस्थान/यूनिवर्सिटी के साथ पार्टनरशिप।
    • सालाना फेस्टिवल/फॉसिल-समीट आयोजित करना ताकि रिपीट-ट्रैफिक बन सके।

B. संस्थागत व्यवस्था और फंडिंग

  • नोडल एजेंसी: जिलास्तर पर सोनभद्र टूरिज्म डेवेलपमेंट प्राधिकरण (STDA) — पर्यटन, वन, संस्कृति, पंचायतों और निजी सेक्टर के प्रतिनिधियों के साथ।
  • फंड स्रोत: राज्य/केंद्र परियोजना निधि, CSR, पर्यटन-बांड, PPP मॉडलों से इन्फ्रास्ट्रक्चर; माइक्रो-लोन/स्वयं सहायता समूह के लिए NABARD/अज़ादी-का-अमृत-महोत्सव ग़्रांट्स।

C. समयरेखा व KPIs (नमूना)

  • 2025–2030: आधारभूत संपर्क मार्गों का उन्नयन, 2–3 प्रमुख साइटों पर सुविधाएँ, स्थानीय प्रशिक्षण। KPI: सालाना +12% पर्यटन वृद्धि; 2028 तक 0.5–1M आगंतुक।
  • 2030–2040: सर्किट का पूरा विकास, फेस्टिवल और अंतरराष्ट्रीय प्रमोशन। KPI: रोजगार में 30% वृद्धि, स्थानीय घरेलू व्यवसायों की आय +40%।
  • 2040–2047: मॅट्यूर्ड-डेस्टिनेशन; KPI: 5–6M वार्षिक आगंतुक, पर्यावरण-इंडिकेटर (जल, जैव-विविधता) में स्थिरता।

2) बदाऊं — ई-गवर्नेंस व आईटी-बुनियादी

मुख्य लक्ष्य: पारदर्शी, कुशल और सुलभ सार्वजनिक सेवा — डिजिटल प्लेटफॉर्म और डेटा-प्रबंधन के माध्यम से।

A. प्राथमिक पहलें

  1. एकीकृत ई-गवर्नेंस प्लेटफ़ॉर्म
    • क्लाउड-आधारित UP-GovNet (केन्द्र और राज्य अनुपालन के साथ) — सभी विभागों के सर्विस-पोर्टल, एकल लॉगिन/ऑथेंटिकेशन, डिजिटल रिकॉर्ड-कीपिंग।
    • मोबाइल-पहुँच वाले ऐप्स और लोकल-कियोस्क (Gram Panchayat से सर्वर को जोड़ने वाले)।
  2. डिजिटल-इन्फ्रास्ट्रक्चर व कनेक्टिविटी
    • ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में वाजिब-दर पर ब्रॉडबैंड (BharatNet जैसी स्कीम्स का उपयोग) और सार्वजनिक-वाइफाई हॉटस्पॉट।
    • सरकारी कार्यालयों का क्लाउड-माइग्रेशन और बैकअप/DR पेयोजनाएं।
  3. डेटा-मैनेजमेंट और इंटरऑपरेबिलिटी
    • केंद्रीकृत डेटा-लेक/डेटा-गवर्नेंस फ्रेमवर्क: API-आधारित सिस्टम, मेटाडेटा स्टैंडर्ड, रोल-बेस्ड एक्सेस कंट्रोल।
    • ओपन-डेटा पोर्टल जहाँ गैर-संवेदनशील आंकड़े नागरिकों के लिए उपलब्ध हों।
  4. साइबर-सुरक्षा और गोपनीयता
    • साइबर सुरक्षा मानक, IR (Incident Response) टीम, नियमित ऑडिट्स, डेटा-एन्क्रिप्शन और निजी डेटा की सुरक्षा हेतु लोकल और राष्ट्रीय कानूनों का पालन।
    • नागरिकों की डिजिटल पहचान/अथेन्टिकेशन के लिए सुरक्षित MFA और OTP-वेरिफिकेशन।
  5. डिजिटल साक्षरता और समावेशन
    • पंचायत-स्तर पर ट्रेनिंग-किट, महिला-वोलेटर्स के लिए डिजिटल शपथ कार्यक्रम, और पोर्टेबल-स्किल ट्रेनिंग वर्कशॉप।
    • डिजिटली निर्बल वर्गों के लिए ऑफलाइन-सपोर्ट, Kiosk और हेल्प-डेस्क।
  6. पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP)
    • क्लाउड, AI एनालिटिक्स, और सर्विस ऑटोमेशन में निजी तकनीकी फर्मों के साथ पार्टनरशिप; आउटसोर्सेड ऑपरेशन-मॉडल पर नियंत्रण और निगरानी शासन द्वारा रखा जाए।

B. संस्थागत व्यवस्था और गवर्नेंस

  • नोडल निकाय: राज्य-स्तर Digital UP Mission — निदेशक (IT), साइबर सुरक्षा प्रमुख, विभागों के CTOs।
  • नैतिकता और पारदर्शिता पैनल: नागरिक प्रतिनिधि, RTI एक्ट के अनुरूप समीक्षा।

C. समयरेखा व KPIs

  • 0–2 साल: बेसलाइन ऑडिट, प्राथमिक सेवाओं का डिजिटल ऑनबोर्डिंग (आधार, पेंशन, भूमि रिकॉर्ड)। KPI: 60% सरकारी सेवाओं का ऑनलाइन उपलब्ध होना।
  • 2–5 साल: क्लाउड माइग्रेशन, डेटा-इंटिग्रेशन, नागरिक ऐप्स का व्यापक प्रयोग। KPI: शिकायत निवारण समय 50% घटाना, भ्रष्टाचार/डील॔ यूजर-सैटिस्फैक्शन स्कोर।
  • 5–10 साल: AI-आधारित नीति-विश्लेषण, predictive services (जलवायु, कृषि सहायताएँ)। KPI: सरकारी प्रक्रियाओं की औसत टर्नअराउंड-टाइम में 70% कटौती।

3) गौतमबुद्ध नगर — आयुष, प्राथमिक और सामुदायिक/निवारक स्वास्थ्य (विस्तार)

मुख्य लक्ष्य: निवारक और सामुदायिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देकर सुलभ, किफायती और समेकित आयुष सुविधाएँ।

A. प्राथमिक पहलें

  1. निवारक/सामुदायिक स्वास्थ्य मॉडल
    • सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियान (स्वच्छता, पोषण, टीकाकरण, जीवनशैली रोग रोकथाम) और स्कूल/क्लासरूम-आधारित स्वास्थ्य शिक्षा।
    • CHC/PHC में Community Health Volunteers (CHVs) को प्रशिक्षित करना (आयुष-समावेशी पद्धति सहित)।
  2. आयुष इंटीग्रेशन
    • प्राथमिक और सामुदायिक केंद्रों में सह-स्थापित आयुष क्लीनिक (co-located AYUSH units) — रोगनिरोधक, स्वस्थ जीवनशैली पर फोकस।
    • सरकारी आयुष सैनिकालयों का उन्नयन: उपकरण, दवाइयाँ, प्रशिक्षण और मानकीकृत इलाज-प्रोटोकॉल।
  3. शिक्षा और नियमित प्रशिक्षण
    • आयुष शिक्षकों और पेशेवरों के लिए लगातार CME (Continuing Medical Education), वर्कशॉप और मानकीकृत सिलेबस।
    • ग्रामीण चिकित्सकों के लिए डिजिटल-लर्निंग मॉड्यूल और टेली-कंसल्टेशन सुविधा।
  4. फीस-नियमन और पहुंच
    • निजी आयुष संस्थानों के लिए एमआरपी/फीस-रेंज की दिशानिर्देश (राज्य स्तरीय रेगुलेशन) — ताकि शिक्षा तथा सेवाएं किफायती रहें।
    • गरीबों के लिए सब्सिडी/वाउचर सिस्टम और बीपीएल परिवारों हेतु विशेष काउंसलिंग।
  5. आयुष जन स्वास्थ्य कार्यक्रम
    • लोकल-हेल्थ इंस्टेंट प्रोग्राम: आयुर्वेदिक निवारक जीवनशैली कैम्प, संवादात्मक हेल्थ-कक्षाएँ, योग/आसन क्लासेस, घरेलू-उपचार-गाइड्स।

B. संस्थागत व्यवस्था व गुणवत्ता नियंत्रण

  • नोडल इकाई: राज्य आयुष विभाग के साथ District AYUSH Coordination Cell।
  • गुणवत्ता मानक: मानकीकृत क्लिनिकल-प्रोटोकॉल, वैक्सीन/दवा आपूर्ति चेन, रिकॉर्ड-कीपिंग और रोग-निगरानी।

C. समयरेखा व KPIs

  • 1–3 वर्ष: PHC/CHC में आयुष-सुविधा स्थापना, शिक्षक-प्रशिक्षण। KPI: प्राथमिक रखरखाव-रोगों में 20% कमी; PHC विजिट में 30% वृद्धि।
  • 3–7 वर्ष: विश्वविद्यालय/पब्लिक-प्राइवेट ट्रेनिंग सेंटर, रेगुलेटरी फ्रेमवर्क। KPI: ग्रामीण क्षेत्र में आयुष सेवाओं की उपलब्धता 80%।
  • 7–15 वर्ष: आयुष जन-स्वास्थ्य कार्यक्रमों का मॅट्यूरेशन। KPI: NCD (non-communicable disease) के जोखिम-सूचक (BMI, BP, मधुमेह-रिचेक पॉइंट) में स्थिर/न्यूनता।

4) समेकित कार्ययोजना (क्रॉस-कटिंग सिफारिशें)

  1. स्थानीय-पहचान और इंटर-सेक्टोरल कोऑर्डिनेशन
    • पर्यटन, संस्कृति, वन, स्वास्थ्य, शिक्षा व IT एक साझा डिजिटल-डैशबोर्ड पर रिपोर्ट करें; नोडल अधिकारी हर तिमाही प्रदर्शन रिपोर्ट दें।
  2. नागरिक भागीदारी और फीडबैक-लूप
    • Participatory Budgeting—वर्ज़न-वाइस/ब्लॉक-वाइस सर्वे और नियमित पब्लिक-सुनवाई; ई-पोर्टल पर सुझाव/शिकायतों का ट्रैकिंग-नामबर दें और SLA तय करें।
  3. वित्तीय-मॉडल और संसाधन
    • पहलें चरणबद्ध रखें: पहले छोटी-विजन टुकडियाँ (pilot) फिर स्केल-अप; CSR, दान, मसौदा-बांड और राज्य-वित्त पोषण का मिश्रण रखें।
  4. स्किलिंग, क्षमता-निर्माण और अनुसंधान
    • स्थानीय अनुसन्धान केंद्र/पॉलिसी-इंस्टिट्यूट के साथ जुड़कर प्रभाव-मूल्यांकन (impact evaluation) और कैपेसिटी-बिल्डिंग प्रोग्राम चलाएँ।
  5. जोखिम और न्यूनीकरण (Risk Mitigation)
    • पर्यावरणीय दबाव (ओवर-टूरिज्म): क्वोटा और सीज़न-मैनेजमेंट।
    • साइबर जोखिम: नियमित पैनीटेशन टेस्ट, बायोमेट्रिक डेटा-प्रोटेक्शन।
    • सामाजिक विरोध: समुदायों को शुरुआती हिस्सेदार बनाना और पारदर्शी लाभ-वितरण योजना।

5) नमूना मापनीय लक्ष्य (SMART-style)

  • Specific: सोनभद्र — 2030 तक सालाना 1 मिलियन आगंतुक; 2047 तक 5M।
  • Measurable: PHC में आयुष-सुविधा की % उपलब्धता; डिजिटल सर्विस-टिकट सॉल्व-टाइम।
  • Achievable: पीएम-गति-शक्ति और राज्य वित्तीय संसाधन का उपयोग करके 5-वर्षीय आधारभूत कार्य पूरा करना।
  • Relevant: SDG-8 और SDG-11 के लक्ष्यों से संरेखित।
  • Time-bound: 2025–2030 (पायलट), 2030–2040 (विस्तार), 2040–2047 (परिपक्वता)।

6) किस तरह आगे बढ़ें — कार्यनिष्पादन के चरण (प्रायोगिक रूप)

  1. 3-महीने: नोडल टीमों का गठन, बेसलाइन सर्वे, प्राथमिक परियोजनाओं के लिए POC (proof-of-concept) साइटें चुनना (1 पर्यटन-साइट, 1 PHC, 1 डिजिटल-सर्विस)।
  2. 6–12-महीने: पायलट-इम्प्लीमेंटेशन, स्थानीय स्किल-प्रोग्राम, शुरुआती डिजिटल प्लैटफॉर्म लॉन्च।
  3. 12–36-महीने: परिणाम मापें, स्केल-अप प्लान बनाएं और वित्तीय/साझेदारी समझौते फाइनल करें।
  4. सतत मूल्यांकन (annual): KPI रिपोर्ट, सामुदायिक फीडबैक, नीति-समायोजन।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button