हाईकोर्ट ने चैतन्य बघेल की याचिका की खारिज, ईडी की गिरफ्तारी को दी थी चुनौती…

छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले (Liquor Scam) से जुड़ा है, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल भी ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की गिरफ्त में हैं। इस पूरे घटनाक्रम को विस्तार से समझें —
🔹 मामला क्या है
चैतन्य बघेल ने अपनी गिरफ्तारी को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। उन्होंने कहा था कि ईडी की कार्रवाई असंवैधानिक और नियमों के खिलाफ है। लेकिन बिलासपुर हाईकोर्ट की जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की एकल पीठ ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया।
कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 24 सितंबर को फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे अब सुनाया गया। इसका मतलब है कि अब ईडी की गिरफ्तारी पर कोई रोक नहीं है और जांच एजेंसी अपनी जांच जारी रखेगी।

🔹 गिरफ्तारी का घटनाक्रम
- 18 जुलाई 2025 को ईडी ने चैतन्य बघेल को उनके जन्मदिन के दिन भिलाई स्थित निवास से गिरफ्तार किया था।
- गिरफ्तारी धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत की गई थी।
- यह कार्रवाई शराब घोटाले से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच का हिस्सा है।
🔹 ईडी की जांच में क्या सामने आया
ईडी के अनुसार —
- चैतन्य बघेल को शराब घोटाले से 16.70 करोड़ रुपये नकद मिले।
- उन्होंने यह राशि अपनी रियल एस्टेट कंपनियों में निवेश की।
- यह पैसा ठेकेदारों को नकद भुगतान और फर्जी बैंक प्रविष्टियों के जरिए चलाया गया।
- जांच में यह भी सामने आया कि उन्होंने त्रिलोक सिंह ढिल्लों के साथ मिलकर पैसे को छिपाने की साजिश रची।
- “विठ्ठलपुरम प्रोजेक्ट” में फ्लैटों की खरीद के नाम पर 5 करोड़ रुपये का लेनदेन किया गया, जो वास्तव में अवैध धन को सफेद करने की कोशिश थी।
- बैंक रिकॉर्ड से भी यह स्पष्ट हुआ कि त्रिलोक सिंह ढिल्लों के खातों में शराब सिंडिकेट से रकम आई थी।
🔹 शराब घोटाला क्या है?
- यह मामला छत्तीसगढ़ में सरकारी शराब वितरण और बिक्री में अनियमितता और अवैध कमाई से जुड़ा है।
- ईडी की जांच कहती है कि इस घोटाले से राज्य सरकार को करीब ₹2,500 करोड़ का नुकसान हुआ।
- यह पैसा राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर के कई लोगों तक पहुंचा।
🔹 पहले से गिरफ्तार प्रमुख लोग
इस मामले में पहले ही कई बड़े नाम गिरफ्तार किए जा चुके हैं —
- अनिल टुटेजा (पूर्व IAS अधिकारी)
- अरविंद सिंह (पूर्व अधिकारी)
- त्रिलोक सिंह ढिल्लों (व्यवसायी)
- अनवर ढेबर (रायपुर के मेयर एजाज ढेबर के भाई)
- अरुण पति त्रिपाठी (पूर्व ITS अधिकारी)
- कवासी लखमा (पूर्व मंत्री और वर्तमान विधायक)
🔹 आगे की स्थिति
अब हाईकोर्ट से राहत न मिलने के बाद चैतन्य बघेल को ईडी की हिरासत या न्यायिक प्रक्रिया का सामना करना होगा।
ईडी आगे उनकी कंपनियों, बैंक खातों, और अन्य संपत्तियों की जांच कर रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह पैसा कहाँ-कहाँ ट्रांसफर हुआ और किसने इससे लाभ उठाया।