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गांधी जयंती विशेष: आजादी की लड़ाई के दौरान दो बार छत्तीसगढ़ आए थे महात्मा गांधी,

महात्मा गांधी का छत्तीसगढ़ से गहरा ऐतिहासिक रिश्ता रहा है। वे आज़ादी की लड़ाई के दौरान दो बार छत्तीसगढ़ आए थे और उनकी यात्राओं ने यहां के स्वतंत्रता आंदोलन और समाज सुधार की दिशा में बड़ा असर डाला। आइए विस्तार से जानते हैं:
🔸 गांधीजी का पहला आगमन (1920) – कंडेल सत्याग्रह से जुड़ा
- 📅 20 दिसंबर 1920 को गांधीजी पहली बार छत्तीसगढ़ आए।
- उनके साथ उस समय “छत्तीसगढ़ के गांधी” कहे जाने वाले पं. सुंदरलाल शर्मा भी थे।
- वे कलकत्ता से ट्रेन से रायपुर पहुंचे।

रायपुर में स्वागत
- रायपुर रेलवे स्टेशन पर उनका जोरदार स्वागत किया गया।
- स्वागत करने वालों में पं. रविशंकर शुक्ल, ठाकुर प्यारेलाल सिंह, सखाराम दुबे, पं. वामनराव लाखे जैसे प्रमुख नेता शामिल थे।
- उन्होंने रायपुर के वर्तमान गांधी चौक पर विशाल सभा को संबोधित किया।
- इसी वजह से उस स्थान का नाम बाद में गांधी चौक पड़ा।
- उन्होंने ब्राह्मणपारा स्थित आनंद समाज वाचनालय में महिलाओं की सभा ली।
- उस सभा में महिलाओं ने तिलक स्वराज फंड के लिए लगभग ₹2000 मूल्य के गहने दान किए।
धमतरी और कंडेल यात्रा
- 📅 21 दिसंबर 1920 को वे धमतरी गए।
- वहां से वे कंडेल और कुरूद गांव पहुंचे।
- कंडेल में उस समय नहर कर (Water Tax) का आंदोलन चल रहा था, जिसे इतिहास में कंडेल नहर सत्याग्रह कहा जाता है।
- गांधीजी ने इस आंदोलन में भाग लिया और किसानों का हौसला बढ़ाया।
- इसके बाद वे रायपुर लौटे और नागपुर चले गए, जहां 26 दिसंबर 1920 को आयोजित कांग्रेस अधिवेशन में शामिल हुए।
👉 गांधीजी का यह पहला दौरा छत्तीसगढ़ के किसानों और आम जनता को सत्याग्रह व अहिंसक आंदोलन की राह पर चलने की प्रेरणा देने वाला साबित हुआ।
🔸 गांधीजी का दूसरा आगमन (1933) – समाज सुधार और छुआछूत उन्मूलन से जुड़ा
- 📅 1933 में गांधीजी दूसरी बार छत्तीसगढ़ आए।
- इस बार वे सीधे बलौदाबाजार पहुंचे।
बलौदाबाजार में समाज सुधार
- गांधीजी ने वहां के मंडी प्रांगण में एक बड़ी सभा को संबोधित किया।
- उन्होंने सभा स्थल के पास बने कुएं से एक दलित व्यक्ति से पानी निकलवाया और उसी के हाथों से पानी पिया।
- यह घटना उस समय छुआछूत और जाति भेदभाव के खिलाफ एक ऐतिहासिक संदेश थी।
जगन्नाथ (गोपाल) मंदिर में प्रवेश
- गांधीजी बलौदाबाजार के जगन्नाथ मंदिर (अब गोपाल मंदिर) गए।
- वहां वे दलितों के साथ मंदिर में प्रवेश किए।
- उस समय मंदिर में भगवान रेशमी वस्त्र धारण किए हुए थे।
- गांधीजी ने मंदिर पुजारियों से कहा – भगवान को खादी पहनाई जाए।
- तुरंत खादी का वस्त्र मंगवाकर भगवान को पहनाया गया।
साथ में मौजूद स्वतंत्रता सेनानी
- गांधीजी के इस दौरे में बलौदाबाजार के स्वतंत्रता सेनानी भी साथ थे –
- रघुनाथ प्रसाद केसरवानी
- मनोहर दास वैष्णव
- पंडित लक्ष्मी प्रसाद तिवारी
- रामकुमार पांडेय
👉 गांधीजी का दूसरा दौरा छत्तीसगढ़ में अस्पृश्यता निवारण, सामाजिक समानता और खादी के प्रसार के लिए ऐतिहासिक माना जाता है।
🔸 निष्कर्ष
- गांधीजी की छत्तीसगढ़ यात्राएं सिर्फ आज़ादी की लड़ाई तक सीमित नहीं थीं।
- उनका उद्देश्य यहां की जनता को स्वराज्य, सत्याग्रह और सामाजिक समानता के मूल्यों से जोड़ना भी था।
- कंडेल सत्याग्रह (1920) ने किसानों को जागरूक किया।
- बलौदाबाजार यात्रा (1933) ने समाज को जाति भेदभाव और छुआछूत के खिलाफ एक मजबूत संदेश दिया।
👉 गांधीजी का यह योगदान छत्तीसगढ़ के इतिहास में मील का पत्थर है।