रायपुर

रायपुर नगर निगम में आठ महीने से चला आ रहा नेता-प्रतिपक्ष विवाद आज सुलझने की संभावना …

रायपुर नगर निगम में आठ महीने से चला आ रहा नेता-प्रतिपक्ष विवाद मंगलवार शाम 4 बजे निगम सभापति सूर्यकांत राठौर की बुलाई बैठक में बहुमत के आधार पर सुलझने की संभावना है — बैठक में पहले इस्तीफा देने वाले पाँच कांग्रेस पार्षद बुलाए गए हैं।

पूरा मामला — क्रमवार और विस्तार से

  1. पृष्ठभूमि — कैसे शुरू हुआ विवाद
    • निगम चुनाव के बाद कांग्रेस के जिला अध्यक्ष गिरीश दुबे ने संदीप साहू को नेता-प्रतिपक्ष घोषित किया था, लेकिन बाद में प्रदेश कांग्रेस (PCC) ने अपनी सूची जारी कर उसमें आकाश (आकाश तिवारी/आकाश शर्मा के नाम का उल्लेख रिपोर्टों में आया है) का नाम दे दिया। इस टकराव के बाद दोनों पक्षों में विवाद बढ़ गया।
  2. इस्तीफे और तनाव
    • संदीप को समर्थन देने वाले कुछ पार्षदों (कुल पाँच के आसपास) ने विरोध में इस्तीफा दे दिया — बाद में दबाव के कारण कई ने वही इस्तीफा वापस लिया। यह मनमुटाव विवाद को लंबा कर रहा था।
  1. बैठक और आज की तिथी-स्थिति
    • सभापति सूर्यकांत राठौर ने मंगलवार शाम 4 बजे उन (पूर्व में इस्तीफा देने वाले) पाँच कांग्रेस पार्षदों को अपने कक्ष में बैठक के लिए बुलाया है; माना जा रहा है कि इसी बैठक में तय होगा कि किन पार्षदों के समर्थन से नेता-प्रतिपक्ष घोषित किया जाएगा। पिछली बार प्रस्तावित बैठक कुछ पार्षदों के बाहर रहने के कारण स्थगित हुई थी।
  2. लोकल ड्रामा — ‘पुरी यात्रा’ और सियासी जंग
    • रिपोर्टें कहती हैं कि रविवार को संदीप साहू समेत कुछ महिला पार्षदों के पति पुरी (तीर्थयात्रा) गए हुए थे — यह घटनाक्रम भी राजनीतिक कयासों को बढ़ा रहा है कि पारिवारिक / गठबन्धन-स्तर पर मत एकजुट है या नहीं। हालाँकि वे वापस लौट आए हैं और कहा जा रहा है कि समर्थन बहुमत के आधार पर तय होगा।

फैसला कैसे होगा — प्रक्रिया का संक्षेप

  • आम तौर पर नगर निगम में नेता-प्रतिपक्ष उस दल/गुट का प्रतिनिधि बनता है जिसके पास विपक्ष में सबसे अधिक पार्षद हों या जिसे विपक्षी पार्षदों का बहुमत समर्थन दे। यहाँ भीही नियम-तर्क (प्रैक्टिस) यही है — इसलिए आज की बैठक में पार्षदों की खुली या लिखित सहमति/समर्थन निर्णायक होगा।

क्या वजहें मायने रखती हैं (राजनैतिक असर)

  • अगर संदीप को बहुमत मिल जाता है → स्थानीय स्तर पर उनकी स्थिति मज़बूत होगी, कांग्रेस के भीतर जिला-स्तर बनाम प्रदेश-स्तर के टकराव में जिला-पक्ष को ताकत मिलेगी।
  • अगर आकाश (PCC-नॉमिनी) का पक्ष माना जाता है → प्रदेश कमेटी की साख बनी रहेगी और पार्टी स्क्रीन-इन की पदाधिकारियों की अनुशासनिक शक्ति कायम रहेगी।

आज शाम किन संकेतों पर ध्यान दें (प्रैक्टिकल चेकलिस्ट)

  • पाँचों पार्षदों में से कितने खुलकर संदीप के साथ हैं (लिखित तौर पर या सार्वजनिक बयान)।
  • क्या सभापति बैठक के बाद तुरंत आधिकारिक घोषणा कर देते हैं — या PCC/जिला नेतृत्व से अंतिम समन्वय की बात करते हैं।
  • इस्तीफों/वापसी और किसी नए बयान का रिकॉर्ड — यह दिखाएगा कि दबाव/समझौते का क्या असर हुआ।

निष्कर्ष और सुझाव

मौजूदा परिस्थितियों में फैसला बहुमत पर टिका हुआ है और सभापति की आज की बैठक (शाम 4 बजे) निर्णायक बन सकती है। मामले की अहमियत सिर्फ नेता-प्रतिपक्ष के नाम तक सीमित नहीं — यह कांग्रेस के अंदरूनी लॉक-अप और प्रदेश बनाम स्थानीय नेतृत्व के संतुलन का भी संकेत देता है।

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