क्राइम

 नेपाल के PM जैसे हालात कर देंगे… FIR दर्ज

  • सूरजपुर जिले के भैयाथान क्षेत्र की खाड़ापारा/भास्करपारा कोल माइन्स को लेकर ग्रामीणों ने प्रदर्शन किया — उनका आरोप है कि प्रकाश इंडस्ट्रीज बिना ग्रामसभा की अनुमति के खदान चला रही है और इसलिए वे विरोध कर रहे थे।
  • प्रदर्शन के दौरान बतौर नेता शामिल रहने वालों में नरेंद्र साहू का नाम सामने आ रहा है। प्रदर्शन के बीच नरेंद्र साहू ने कथित तौर पर खांडापारा के सरपंच रामधारी को धमकी दी (उस वाक्य में कहा गया: “नेपाल के पीएम जैसे हाल कर देंगे”) और इसके बाद कुछ लोगों द्वारा सरपंच से हाथापाई/मारपीट का वीडियो भी सामने आया — इसी पर सरपंच संघ ने थाने में शिकायत की।

पृष्ठभूमि — क्यों संघर्ष हो रहा है

  • भास्करपारा कोल प्रोजेक्ट और प्रकाश इंडस्ट्रीज के काम को लेकर पहले से ही इलाके में असंतोष, पर्यावरणीय और रोजगार-संबंधी शिकायतें चल रही हैं — ग्रामीणों का कहना रहा है कि ग्रामसभा की सहमति व पारदर्शिता नहीं रखी गई और स्थानीय लोगों को रोजगार/मुआवजा ठीक से नहीं मिला। इसीलिए पहले भी बैठकें, आपत्तियाँ और धरने हुए हैं।

कानूनी कार्रवाई क्या हुई

  • सरपंच संघ की शिकायत के बाद पुलिस ने अजाक थाने में मामला दर्ज किया और शिकायत के आधार पर नरेंद्र साहू व हेमंत राजवाड़े के खिलाफ दर्ज एफआईआर में एट्रोसिटी (Atrocity) एक्ट के तहत धाराएँ भी बताई गईं — मामले की जांच जारी है। (खबर में इस एफआईआर और एट्रोसिटी एक्ट का जिक्र मौजूद है।)

अभी क्या स्थिति है / आने वाले कदम

  • खबरों के अनुसार घटना का वीडियो वायरल है और पुलिस इसकी पड़ताल कर रही है; प्रशासन-प्रबंधन और ग्रामीणों के बीच बातचीत/समझौते की कोशिशें भी होने की रिपोर्टें आई हैं। जांच के बाद यदि पर्याप्त मीडिया/वीडियो सबूत और शिकायत साबित होती है तो आगे संवैधानिक/आपराधिक कार्रवाई (अधिक गिरफ्तारी/कोर्ट में मामला) हो सकती है।

आप क्या देख सकते हैं (क्या मायने रखता है)

  1. पुलिस की तफ्तीश और एफआईआर में दर्ज धाराओं का विकास — क्या और लोग नामजद होंगे।
  2. प्रशासन/राजनीतिक हस्तक्षेप — पंचायत/जिला स्तर पर ग्राम सभा प्रमाणपत्रों/अनुमतियों की जाँच।
  3. कंपनी (Prakash Industries) की स्थिति — क्या खनन ठहरता है, कोई रोक-टोक होती है या कंपनी अपने दस्तावेज दिखाती है।
  4. स्थानीय जनप्रतिनिधियों/सरपंचों और प्रदर्शनकारियों की अगली रणनीति — शांतिवादी समाधान या तेज़ आंदोलन।

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