माओवादियों की शांति वार्ता की पेशकश पर छत्तीसगढ़ उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा की प्रतिक्रिया…

🌐 पृष्ठभूमि
हाल ही में माओवादी केंद्रीय कमेटी ने छत्तीसगढ़ राज्य सरकार को एक चिट्ठी भेजी है, जिसमें उन्होंने अस्थायी रूप से हथियारबंद संघर्ष रोकने और सरकार से शांति वार्ता की पेशकश की है। यह कदम नक्सल आंदोलन के भविष्य के संदर्भ में बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। खासकर तब, जब लंबे समय से दोनों पक्षों के बीच संघर्ष और सैन्य कार्रवाई जारी थी।

✍️ पत्र में किए गए मुख्य बिंदु
- मार्च 2025 से माओवादी पार्टी सरकार से शांति वार्ता के लिए गंभीर प्रयास कर रही है।
- 10 मई को महासचिव के प्रेस बयान में हथियार छोड़ने की बात कही गई।
- सर्वोच्च नेतृत्वकारी कामरेडों के साथ परामर्श करने के लिए एक माह का समय मांगते हुए सरकार से सीज फायर (संघर्ष विराम) का प्रस्ताव रखा गया।
- माओवादी आरोप लगाते हैं कि केंद्र सरकार ने जनवरी 2024 से अपने उन्मूलन अभियान को और तेज कर दिया।
- 21 मई को गुंडेकोट के पास हमले में माओवादी महासचिव कामरेड बसवाराजू समेत 28 साथियों की शहादत हुई।
🧑💼 उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा की प्रतिक्रिया
- सत्यता की जांच पर जोर
उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने स्पष्ट किया कि सरकार अभी तक इस पत्र की सत्यता को लेकर आश्वस्त नहीं है।
➔ उन्होंने कहा:
➔ “जब तक पत्र की प्रमाणिकता साबित नहीं होती, तब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाएगा।” - संभावित वार्ता पर विचार
अगर पत्र की जांच में यह साबित होता है कि यह वास्तव में माओवादी नेतृत्व की ओर से आया है, तो सरकार शांति वार्ता की दिशा में सोच-विचार करके कदम उठाएगी। - सावधानीपूर्वक दृष्टिकोण
सरकार की नीति स्पष्ट है कि वह शांति के प्रति समर्पित है, लेकिन किसी प्रकार की छल या रणनीति से भी सावधान रहने की आवश्यकता है। - प्रक्रिया की पारदर्शिता
राज्य सरकार ने यह भी बताया कि पत्र को गंभीरता से लेते हुए जांच के लिए संबंधित एजेंसियों को सौंपा गया है ताकि निष्पक्ष सत्यापन हो सके। - पिछली वार्ता प्रक्रिया का उल्लेख
उन्होंने कहा कि पिछले शांति प्रयास को बीच में अधूरा न छोड़कर इस बार इसे पूरी ईमानदारी और गंभीरता से आगे बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। इस आधार पर ही यह प्रेस बयान जारी किया गया है।
⚡️ महत्वपूर्ण निष्कर्ष
- सरकार फिलहाल किसी भी कार्रवाई से पहले पत्र की सत्यता पर जोर दे रही है।
- यह प्रक्रिया पारदर्शिता व न्यायसंगत तरीके से होगी।
- यदि सत्यता सिद्ध होती है, तो माओवादी शांति वार्ता को एक सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ाने पर विचार किया जाएगा।
- इस पहल से छत्तीसगढ़ में लंबे समय से चली आ रही नक्सल-सरकार टकराव की समाप्ति की संभावना उजागर होती है।
🌟 विशेष पहलू
इस तरह की बातचीत से न केवल राज्य में शांति व सुरक्षा के लिए मार्ग प्रशस्त होता है, बल्कि विकास और सामाजिक समरसता की दिशा में भी बल मिलता है। साथ ही सरकार की संवेदनशीलता और जिम्मेदाराना दृष्टिकोण को भी दर्शाता है।
👉 सार में:
उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने स्पष्ट किया कि शांति वार्ता की प्रक्रिया तभी आगे बढ़ेगी जब माओवादी द्वारा भेजे गए पत्र की सत्यता प्रमाणित हो जाएगी। सरकार पूरी तरह से पारदर्शिता व सावधानी से काम करेगी और जनता की भलाई व राज्य की शांति को सर्वोच्च प्राथमिकता देगी।