छत्तीसगढ़रायपुर

90 दिनों में भी नहीं पकड़ पाई पुलिस तोमर ब्रदर्स को…

  • रायपुर के तोमर ब्रदर्स — वीरेंद्र सिंह तोमर और रोहित तोमर के खिलाफ जून 2025 में मारपीट, वसूली, ब्लैकमेलिंग और सूदखोरी से जुड़ी कुल ~7 नई FIR दर्ज की गईं; तब से दोनों फरार बताये जा रहे हैं और पुलिस गिरफ्त में लाने में नाकाम रही है।

विस्तार ….

  1. मामलों का दर्ज होना (जून 2025) — तेलीबांधा व पुरानी बस्ती इत्यादि थानों में कई पीड़ितों की शिकायतों पर केस दर्ज हुए; रिपोर्टों में कहा गया है कि ये शिकायतें मारपीट, वसूली, ब्लैकमेलिंग और सूदखोरी से जुड़ी हैं और कुल मिलाकर करीब 7 नए FIR दर्ज किए गए। ‌।
  2. छापे और बरामदियाँ — पुलिस/आयुक्त टीम की रेड में भाईयों के घर से नकद और संपत्ति जब्त करने की खबरें आईं: रिपोर्टों में ₹37 लाख से अधिक नकदी, कई सोने के आभूषण (न्यूज़ में 734 ग्राम के आस-पास), 125 ग्राम चांदी, चार गाड़ियाँ, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और कुछ हथियार/कारतूस जब्त होने की रिपोर्टें हैं।
  3. परिजनों/नेटवर्क पर कार्रवाई, कुछ सहयोगी गिरफ्तार — आरोप है कि कुछ रिश्तेदार और साथ काम करने वाले लोग पहले से ही हिरासत में लिए जा चुके हैं; आरोपी भाइयों की पत्नियों/सहयोगियों पर भी गिरफ्तारी की खबरें आईं (उदाहरण — भावना तोमर की गिरफ्तारी और उससे बरामदियों का जिक्र)।
  4. फरारी और ट्रेसिंग — समाचारों में बताया गया है कि दोनों भाई फरार हैं, संभवत: मध्यप्रदेश में छिपे हुए हैं; पुलिस ने कॉल-ट्रेसिंग सहित कई नंबर खंगाले लेकिन अभी भी गिरफ्त में नहीं ला पाई। कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि परिजन उनसे संपर्क में हैं, और सुरागों के बावजूद पकड़ना मुश्किल रहा।

न्यायिक/प्रशासनिक कदम

  • अग्रिम जमानत अर्जी खारिज — कुछ रिपोर्टों के अनुसार लोअर कोर्ट/सेशन कोर्ट ने अग्रिम जमानत के आवेदन पर रोक लगायी/नकारात्मक फैसला दिया, और इसी के बाद प्रशासन ने उनकी संपत्तियों की कुर्की (attachment) शुरू करने की अनुमति भी ली। प्रशासनिक स्तर पर संपत्ति कुर्क करने की कार्यवाही तेज की जा रही है।

चर्चा में जो बातें आ रही हैं (अटकलें/अभियोग)

  • स्थानीय मीडिया-रिपोर्टों और नागरिकों की शिकायतों में यह भी कहा जा रहा है कि इन भाइयों को राजनीतिक संरक्षण मिलने की अफ़वाहें हैं, जिसके चलते पकड़े जाने में देरी हुई — यह एक गंभीर आरोप है और पुलिस/प्रशासनिक जांच-कदमों का फोकस भी इसी पर है। (रिपोर्ट्स इस दावे को “आरोप/चर्चा” के रूप में उद्धृत कर रही हैं; अभी आधिकारिक रूप से सिद्ध नहीं हुआ).

अब क्या हो रहा है / क्या हो सकता है

  • प्रशासन ने संपत्ति कुर्क करना शुरू कर दिया है — इसका मकसद गायब आरोपियों की कमाई को सुरक्षित करना और ज़रूरी साक्ष्य जुटाना है; इससे अदालत में यदि दोष सिद्ध हुआ तो रीकवरी में मदद मिलेगी।
  • पुलिस-जाँच तेज है: कॉल-डाटा, बैंक/लेन-देन डॉक्युमेंट, तथा इलेक्ट्रॉनिक-फॉरेंसिक की जाँच जारी है — जिन सूचनाओं की आड़ में अनेक संपत्तियाँ खरीदी गईं, उन रास्तों को ट्रेस किया जा रहा है।

संकटग्रस्त नागरिकों के लिए (यदि आप पीड़ित/मुकदमेबाज़ हैं)

  • अगर आप इस गिरोह के कथित शिकार हैं तो: अपनी FIR-कॉपी, बैंक-लेन-देन के सबूत और किसी भी डिजिटल/फिजिकल सबूत को संभाल कर रखें और तुरंत संबंधित थाना/SSP ऑफिस में संपर्क कर के अपडेट माँगें। स्थानीय मीडिया-रिपोर्ट्स के मुताबिक पुलिस-कांटेक्ट और विशेष टीम इन मामलों में नियुक्त है — अपने केस का नंबर और थाना नोट रखें।

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