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सुप्रीम कोर्ट के आवारा कुत्तों को ले जाने वाले आदेश और रवीना टंडन की प्रतिक्रिया:

1. सुप्रीम कोर्ट का आदेश: क्या है मामला?
- सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR में बढ़ते आवारा कुत्तों से होने वाले हमलों और रेबीज के मामलों को देखते हुए आदेश दिया है कि अगले 8 हफ्तों में सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर विशेष आश्रयस्थलों (shelters) में रखा जाए और उन्हें वापस सड़कों पर नहीं छोड़ा जाए। कोर्ट ने इसे “public safety” का मामला बताया, खासकर बच्चों और बुज़ुर्गों की सुरक्षा के मद्देनजर। किसी भी प्रकार की बाधा डालने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।

2. इस आदेश पर व्यापक प्रतिक्रिया — आलोचना और समर्थन
- कई पशु अधिकार संगठन (PETA India, FIAPO आदि) इसे “अमानवीय”, “अवैज्ञानिक”, और लोगों और कुत्तों दोनों के लिए हानिकारक बता रहे हैं। वे कहते हैं कि यह एबीसी (Animal Birth Control) नियमों के खिलाफ है, और नसबंदी व टीकाकरण ही दीर्घकालीन समाधान हैं।
- वहीं, सार्वजनिक सुरक्षा की दृष्टि से कई निवासी और आरडब्ल्यूए (RWA) इसे स्वागत योग्य कदम मान रहे हैं, क्योंकि इससे सड़कें सतर्क रहने योग्य होंगी और हमले कम होंगे।
3. रवीना टंडन की प्रतिक्रिया: शर्मापूर्ति नहीं — चेतावनी
बॉलीवुड अभिनेत्री और पशु अधिकारों की हिमायती रवीना टंडन ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर तीखा बयान दिया:
- उनका कहना है कि “आवारा कुत्तों को दोष देना गलत है”, क्योंकि वास्तविक जिम्मेदारी स्थानीय निकायों (municipal bodies) पर है — जो समय रहते नसबंदी और टीकाकरण अभियान को सही तरीके से नहीं चला पाए।
- उन्होंने आगे जोड़ा, “अगर पैसा और बुनियादी ढांचा सही से लगाया गया होता, तो हम इस स्थिति तक नहीं पहुंचे होते।” यानी, पूर्व में दी जाने वाली तैयारी ही इस समस्या का जवाब होती।
- HT City से बातचीत में रवीना ने कहा कि स्थानीय निकायों को अपने क्षेत्र के आवारा कुत्तों की जिम्मेदारी लेनी होगी, और नसबंदी आज सबसे बड़ी जरूरत है।
सारांश तालिका
पहलू | विवरण |
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सुप्रीम कोर्ट आदेश | 8 हफ्तों में दिल्ली-NCR से सभी आवारा कुत्तों को शेल्टर में रखने का निर्देश, streets पर वापस न छोड़ने का स्पष्ट निर्देश, अवमानना पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी। |
पशु अधिकार संगठन प्रतिक्रिया | आदेश को “अवैज्ञानिक” और “अमानवीय” कहा — ABC नियमों के खिलाफ, नसबंदी व टीकाकरण को ही समाधान बताया। |
रवीना टंडन की राय | समस्या के लिए कुत्तों को दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए; असली जिम्मेदार स्थानीय प्रशासन हैं; नसबंदी व टीकाकरण अभी प्राथमिक कदम हैं। |