छत्तीसगढ़
हरित विकास की दिशा में ग्रामीण क्षेत्रों की भूमिका सबसे महत्त्वपूर्ण….

- स्थान: रायपुर स्थित एक प्रमुख प्रबंधन संस्थान
- अवसर: पाँचवाँ भारत ग्रामीण संवाद (5th Bharat Gramin Samvad)
- मुख्य विषय: हरित अर्थव्यवस्था (Green Economy) और ग्रामीण क्षेत्रों में उसका प्रसार
- मुख्य साझेदारी: छत्तीसगढ़ वन विभाग और Transform Rural India Foundation (TRIF) के बीच एमओयू (MoU) पर हस्ताक्षर

क्या है हरित अर्थव्यवस्था की यह पहल?
- हरित अर्थव्यवस्था का अर्थ है — ऐसा आर्थिक विकास, जो पर्यावरण के अनुकूल हो, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करे और ग्रामीण समुदायों को आय व रोजगार के नए अवसर दे।
- इसका केंद्रबिंदु ग्रामीण अर्थव्यवस्था को टिकाऊ विकास (Sustainable Development) की दिशा में बदलना है।
एमओयू के मुख्य उद्देश्य
- ग्रामीण विकास और पर्यावरण संरक्षण का समन्वय:
- वन विभाग और TRIF मिलकर ग्रामीण समुदायों के लिए हरित आजीविका के अवसर तैयार करेंगे।
- लघु वनोपज और वनाधारित आजीविका को बढ़ावा:
- जंगलों से मिलने वाले लघु वनोपज (Minor Forest Produce) के मूल्य संवर्धन और बाज़ार से जोड़ने की पहल।
- ग्रीन रोजगार (Green Jobs):
- सौर ऊर्जा, वानिकी, इको-टूरिज्म, प्राकृतिक खेती और जैविक उत्पादों के क्षेत्र में नए रोजगार अवसर।
- जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करना:
- कार्बन फुटप्रिंट घटाना और ग्रामीणों को जलवायु-स्मार्ट तकनीकें अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना।
भारत ग्रामीण संवाद के मुख्य बिंदु
- संवाद में नीतिनिर्माताओं, विशेषज्ञों, उद्योग जगत और ग्रामीण प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
- थीम: “गाँवों से हरित अर्थव्यवस्था की क्रांति”
- चर्चाएँ हुईं कि कैसे पंचायत स्तर पर हरित परियोजनाएँ लागू की जा सकती हैं।
- ग्रामीण महिलाओं और युवाओं की सशक्त भागीदारी पर जोर दिया गया।
संभावित लाभ
- गाँवों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
- पर्यावरण संरक्षण और वनों की सुरक्षा में जनता की भागीदारी बढ़ेगी।
- ग्रामीण आजीविका को स्थायी और लाभकारी बनाया जाएगा।
- राज्य की जलवायु अनुकूलन क्षमता मजबूत होगी।
निष्कर्ष
यह एमओयू और भारत ग्रामीण संवाद का संदेश स्पष्ट है — अब विकास की धारा केवल शहरी केंद्रित नहीं होगी, बल्कि गाँवों से हरित अर्थव्यवस्था की नई क्रांति शुरू होगी। यह छत्तीसगढ़ जैसे राज्य के लिए विशेष रूप से अहम है, जहाँ वन आधारित आजीविका लाखों लोगों का जीवन आधार है।