छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ सरकार धर्मांतरण पर नया कानून क्यों लाना चाह रही है, अधिनियम की रूपरेखा क्या हो सकती है,

- मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने हिंदू राष्ट्रीय अधिवेशन (शदाणी दरबार) में घोषणा की कि राज्य में अवैध धर्मांतरण को रोकने के लिए एक नया सख्त कानून (conversion bill) तैयार किया गया है, जिसे आगामी विधानसभा सत्र में पेश किया जाएगा।
- इसके अनुसार, वर्तमान में लागू छत्तीसगढ़ फ्रिडम ऑफ़ रिलिजन (अधिनियम), 1968 को और मजबूत करने की दिशा में तैयारी चल रही है ।
- यह बिल उत्तर प्रदेश के “धर्म स्वातंत्र्य कानून” के मॉडल के जैसा बनाया जा रहा है ।
📃 ड्राफ्ट में शामिल प्रमुख प्रावधान

- धर्म परिवर्तन करने वाले और करवाने वाले दोनों को कम से कम 60 दिन पहले जिला मजिस्ट्रेट को सूचना देना अनिवार्य होगी।
- रूपांतरण अवैध माना जाएगा यदि यह लुभावने प्रस्ताव, विवाह, जबरदस्ती, धोखे या अनुचित प्रभाव के माध्यम से किया गया हो।
- साक्ष्य देने की जिम्मेदारी उस व्यक्ति पर होगी जिसने धर्मांतरण कराया है, कि यह कानूनी था।
- मुआवजा प्रावधान: अवैध रूपांतरण को लेकर शिकायत मेलने पर पीड़ित को अदालत ₹5 लाख तक का मुआवजा दे सकती है।
- सजा की सीमा:
- नाबालिगों, महिलाओं, SC/ST के लोगों के अवैध रूपांतरण के लिए न्यूनतम 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक कैद और ₹25,000 जुर्माना।
- सामूहिक धर्मांतरण पर कम से कम 3 वर्ष और अधिकतम 10 वर्ष तक जेल एवं ₹50,000 तक जुर्माना ।
⚖️ सरकार की योजना और लाने का समय
- मानसून सत्र तक बिल पेश नहीं हुआ है। हालांकि ड्राफ्ट तैयार है लेकिन विभिन्न विभागों की सहमति नहीं मिल पाई, इसलिए बिल पटल पर अभी तक नहीं आया।
- डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने संकेत दिया कि यदि सब कुछ ठीक रहा तो यह विधेयक इसी सत्र (वर्तमान मानसून सत्र) में पेश किया जा सकता था, पर फिलहाल यह आगे शीतकालीन सत्र (नवम्बर‑दिसंबर) में शामिल किया जा सकता है ।
🎯 उद्देश्य और संदर्भ
- BJP नेताओं का आरोप है कि स्वास्थ्य-शिक्षा के नाम पर कुछ एनजीओ विदेशी फंडिंग का उपयोग कर धर्मांतरण करवाते हैं, विशेषकर जशपुर और बस्तर जिलों में, जहां अधिकांश संस्थाएं मिशनरियों द्वारा चलाई जाती हैं।
- मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने यह भी प्रस्ताव रखा है कि ऐसे आदिवासी जिन्हें धर्म परिवर्तन कर लिया हो, उन्हें अनुसूचित जनजाति की श्रेणी से बाहर किया जाए, जिससे धर्मांतरण के लाभ खत्म हो सकें
🧾 सारांश तालिका
विषय | विवरण |
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कानून का नाम प्रस्तावित | Chhattisgarh Conversion/Religious Freedom Act (draft) |
मुख्य उद्देश्य | अवैध धर्मांतरण (बलपूर्वक, प्रलोभन, धोखा इत्यादि) रोकना |
ड्राफ्ट स्थिति | जून–जुलाई 2025 तक तैयार; विभागों की मंजूरी लंबित |
मौजूदा कानून | 1968 का Freedom of Religion Act (प्रस्तावित संशोधन की तैयारी) |
प्रक्रिया | 60 दिन पहले DM को सूचना, जिम्मेदारी धार्मिक परिवर्तनकर्ता पर, विरोध पर FIR/register |
सजा | 2–10 साल जेल, ₹25,000–₹50,000 जुर्माना, संभावित ₹5 लाख मुआवजा |
वितर्क | ST लाभ से बाहर करना, विदेशी फंडिंग की खांंच |
विधेयक पेश होने की संभावना | अगले विधानसभा सत्र (संभावित: शीतकालीन सत्र 2025) |
🧭 निष्कर्ष
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और डिप्टी मुख्यमंत्री विजय शर्मा दोनों स्पष्ट कर चुके हैं कि वर्तमान कानून पर्याप्त नहीं हैं। राज्य सरकार धर्मांतरण कानून को और भी कड़ा बनाने की दिशा में काम कर रही है, जिसमें पहले से तैयार मसौदे पर विभागीय मंजूरी और कैबिनेट की मुहर का इंतजार है। यदि सब कुछ समय पर हो गया, तो यह विधेयक इस वर्ष के अंत में विधानसभा में पेश किया जा सकता है।