आस्था

राज्य गठन के रजत जयंती वर्ष के अवसर पर मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की अगुवाई में शुरू की गई ‘श्री रामलला दर्शन योजना’,,

छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य गठन के रजत जयंती वर्ष (25वें वर्ष) के अवसर पर एक आस्था, संस्कृति और राष्ट्रभावना से ओत-प्रोत ऐतिहासिक पहल की है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की अगुवाई में शुरू की गई ‘श्री रामलला दर्शन योजना’ अब धरातल पर उतर रही है, जिससे छत्तीसगढ़ के श्रद्धालुओं को अयोध्या में भगवान श्री रामलला के दर्शन का अवसर मिल रहा है।


🔷 योजना का उद्देश्य:

  • आमजन, विशेषकर ग्रामीण, बुजुर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को अयोध्या में श्री राम मंदिर के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त कराना।
  • छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत और भगवान श्री राम के वनवासी जीवन से जुड़े स्थलों को राष्ट्रीय धार्मिक यात्रा पथ से जोड़ना
  • आस्था को जनसंपर्क और संस्कृति से जोड़कर जनचेतना का सृजन करना।

🔶 योजना की मुख्य विशेषताएँ:

  1. राज्य सरकार द्वारा पूर्णतः प्रायोजित यात्रा योजना
  2. चयनित श्रद्धालुओं को रेल मार्ग अथवा बस सेवा से अयोध्या ले जाया जा रहा है
  3. भोजन, आवास, यात्रा बीमा और चिकित्सा सुविधा की संपूर्ण व्यवस्था।
  4. श्रद्धालुओं के लिए गाइड और संयोजकों की तैनाती, जिससे दर्शन यात्रा सुव्यवस्थित हो।
  5. हर जिले से श्रद्धालुओं का चयन, जिससे पूरे राज्य को प्रतिनिधित्व मिले।

🌟 मुख्यमंत्री की भूमिका:

  • मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने स्वयं इस योजना की रूपरेखा तैयार कर आस्था से जनकल्याण जोड़ने का अभिनव उदाहरण प्रस्तुत किया है।
  • उन्होंने कहा कि “छत्तीसगढ़ और श्री राम का संबंध वनवास काल की संस्कृति से जुड़ा है। यह योजना राज्य की संस्कृति, परंपरा और धार्मिक चेतना को पुनर्जीवित करने का एक प्रयास है।”
  • उन्होंने योजना को रजत जयंती वर्ष के गौरवशाली आयोजनों का हिस्सा बताया।

🔸 सांस्कृतिक दृष्टि से महत्व:

  • श्री राम छत्तीसगढ़ के जन-जन में ‘नर से नारायण’ रूप में पूज्य हैं।
  • राज्य के कोरिया से दंतेवाड़ा तक कई स्थल भगवान राम के वनवासी काल के गवाह हैं।
  • इस योजना से युवाओं और श्रद्धालुओं को रामायण कालीन स्थलों के महत्व को समझने का अवसर मिलेगा।

✅ अब तक की प्रगति:

  • पहले चरण में विभिन्न जिलों से सैकड़ों श्रद्धालुओं को अयोध्या भेजा गया है।
  • यात्रियों ने लौटकर अपनी आध्यात्मिक अनुभूतियाँ साझा कीं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि योजना भावनात्मक और सामाजिक रूप से भी सफल रही है।

यह योजना धर्म, संस्कृति, लोकसंस्कार और पर्यटन को मिलाकर छत्तीसगढ़ को “राम वनगमन पथ” के केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक मील का पत्थर है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button