छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ सरकार ने हाल ही में नक्सल-विरोधी सरेंडर नीति (Naxal Surrender Policy–2025) में नई पहल की घोषणा की है,

छत्तीसगढ़ सरकार ने हाल ही में नक्सल-विरोधी सरेंडर नीति (Naxal Surrender Policy–2025) में नई पहल की घोषणा की है, जिसमें नक्सली योद्धाओं को नसबंदी करवाने पर भी विशेष आत्मनिर्भर सहायता दी जाएगी – जिसके परिणामस्वरूप उनके घरों में टेस्ट ट्यूब बेबी जैसे सुखद पल आने की उम्मीद बढ़ गई है। आइए विस्तार में समझते हैं:

🔍 नई पहल: नसबंदी + टेस्ट-ट्यूब बेबी योजनाएं
- सरेंडर करने वाले नक्सलियों को ₹50,000 नगद सहायता मिलती है, साथ ही हथियार सरेंडर करने पर अतिरिक्त कैश प्रोत्साहन भी मिलता है:
- LMG के लिए ₹5 लाख, AK‑47 ₹4 लाख, SLR/INSAS हथियार ₹2 लाख आदि ।
- सरकार की नई नीति के अनुसार, यदि कोई युगल–सरेंडरकर्ता नसबंदी करवाते हैं, तो उन्हें पुनर्वास सहायता और वास्तविक पारिवारिक योजना (जैसे टेस्ट‑ट्यूब बेबी) में भी सहायता मिलेगी ।
👨👩👧 सामाजिक-सामाजिक असर
- नसबंदी करवाने वालों को नवजात संतान (चाहे वो पारंपरिक तरीकों से हो या IVF माध्यम से) पालने की सुविधा मिलेगी—इससे समाज में कम आबादी पर नियंत्रण और परिवार को संवृद्धि का मौका मिलेगा।
- सरकार द्वारा यह छवि निर्मित की जा रही है कि ‘सशस्त्र जीवन से मुख्यधारा की पुनःसंयुक्त जिन्दगी’ की राह पर लौटने पर कल्याणकारी राज्य की पहल मिलेगी।

🧭 सरकारी लक्ष्य व रणनीति
- आत्मसमर्पण बढ़ाना: नक्सली संघर्ष छोड़ने को और आकर्षक बनाना 🡪 आर्थिक सहायता+पारिवारिक योजना।
- नवस्थापना (Reintegration): निशुल्क स्वास्थ्य, नवजात देखभाल, और पोषण सहायता सुनिश्चित करके नक्सलियों को स्थायी रूप से मुख्यधारा में वापस लाना।
- जनगणना मॉडल: जन्म नियंत्रण (Sterilization) को परिवार नियोजन के अतिरिक्त कार्यक्रम के रूप में शामिल करना।
✅ निष्कर्ष
छत्तीसगढ़ की यह बेहद प्रगतिशील और मानव-केंद्रित नीति केवल आर्थिक या हथियार सौगात नहीं है, बल्कि पारिवारिक पुनर्निर्माण को भी पहचानती है। इसमें नसबंदी करवाने वालों को पुनर्वास, सुरक्षा, और बच्चे के जन्म की सुविधा जैसी सुविधाएं दी जाएंगी—जिससे न केवल नक्सलियों को समाज में नया जीवन मिलेगा, बल्कि यह आशा और विश्वास की एक नई लहर भी शुरू होगी।