लालू यादव और उनके परिवार से जुड़े शख्स पर ‘नौकरी के बदले जमीन’ मामले में फैसले आ सकते हैं.

देश l नौकरी के बदले जमीन घोटाला (Land for Jobs Scam) 2004-2009 की अवधि से जुड़ा है, जब राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव केंद्र में यूपीए सरकार के रेल मंत्री थे. केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच के अनुसार, लालू और उनके परिवार पर आरोप है कि उन्होंने रेलवे में ग्रुप-डी की नौकरियां देने के बदले उम्मीदवारों से कम कीमत पर या उपहार के रूप में जमीनें हस्तांतरित करवाईं. इन जमीनों का स्वामित्व कथित तौर पर लालू की पत्नी राबड़ी देवी, बेटियों मीसा भारती, हेमा यादव और बेटे तेजस्वी यादव के नाम पर हुआ.

CBI ने 2022 में इस मामले में FIR दर्ज की, और 2022, 2023 व 2024 में तीन चार्जशीट दाखिल कीं, जिसमें 78 लोग, जिनमें लालू परिवार और उनके करीबी शामिल हैं, आरोपी हैं. ED ने मनी लॉन्ड्रिंग के पहलू की जांच करते हुए 2024 में सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की, जिस पर दिल्ली के राउस एवेन्यू कोर्ट ने 3 जून 2025 को फैसला सुरक्षित रखा.
बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, और यह मामला RJD और महागठबंधन (RJD, कांग्रेस, वाम दल) के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर रहा है. लालू यादव बिहार में सामाजिक न्याय और पिछड़े वर्गों के मसीहा के रूप में जाने जाते हैं, और उनकी पार्टी RJD का मुख्य आधार यादव, मुस्लिम और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) समुदाय हैं. हालांकि, इस घोटाले के कारण विपक्षी गठबंधन NDA (BJP-JDU) को RJD पर ‘जंगलराज’ और भ्रष्टाचार का आरोप लगाने का मौका मिल रहा है. BJP ने पहले ही सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर लालू और तेजस्वी पर हमला बोला है, जिसमें उनके शासनकाल को ‘घोटालों का दौर’ बताया गया. यह मामला RJD के कोर वोटरों में अविश्वास पैदा कर सकता है, खासकर शहरी और युवा मतदाताओं में, जो पारदर्शिता और सुशासन को प्राथमिकता देते हैं.
दिल्ली हाई कोर्ट ने 31 मई 2025 को लालू की याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने CBI की FIR, चार्जशीट और ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही रद्द करने की मांग की थी. कोर्ट ने कहा कि मामला विशेष न्यायाधीश के समक्ष बहस के लिए सूचीबद्ध है, और लालू को ट्रायल कोर्ट में अपनी दलीलें पेश करने की पूरी छूट है. राउस एवेन्यू कोर्ट में ED की चार्जशीट पर संज्ञान लेने का फैसला 3 जून 2025 को संभावित है, जो लालू परिवार की कानूनी मुश्किलें बढ़ा सकता है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मई 2024 में लालू के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी, जिससे CBI और ED की कार्रवाई को और बल मिला. यह स्थिति लालू और उनके परिवार के लिए गंभीर चुनौती पेश करती है, क्योंकि ट्रायल आगे बढ़ने पर दोषसिद्धि की स्थिति में उनकी राजनीतिक साख को नुकसान पहुंच सकता है.