अब चीन और पाकिस्तान की खैर नहीं, FPV ड्रोन भारतीय सेना में शामिल हुआ….

अगस्त 2024 में यह प्रोजेक्ट शुरू किया गया था.ड्रोन राइजिंग स्टार ड्रोन बैटल स्कूल में असेंबल किया गया है. मार्च 2025 तक 100 से ज्यादा ड्रोन तैयार किए गए हैं. हर ड्रोन की कीमत 1,40,000 रुपये है. अभी 5 FPV ड्रोन को सेना में शामिल किया जा चुका है, 95 अभी मिलने हैं. इस ड्रोन में पेलोड के लिए ड्युअल सेफ्टी मैकेनिज्म है ताकि ऑपरेटर की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके. ट्रांसपोर्टेशन, हैंडलिंग और उड़ान के दौरान किसी एक्सीडेंटल ब्लास्ट को रोकता है.

इसे एक्टिवेट सिर्फ ड्रोन पायलट ही कर सकता है. इसके अलावा एक लाइव फीडबैक रिले सिस्टम पायलट को FPV गॉगल्स के जरिए पेलोड की स्थिति के बारे में रियल टाइम अपडेट देता है. इससे ड्रोन उड़ाने के दौरान सही और तेजी से फैसले लेने में मदद मिलती है. आमतौर पर FPV ड्रोन की रेंज 6 से 7 किलोमीटर बताई जाती है. इस ड्रोन को ऑपरेट करने के लिए किसी कमांड एंड कंट्रोल सेंटर की जरूरत नहीं होती. दुश्मन के इलाके के महज 3 से 5 किलोमीटर दूर किसी भी बंकर में बैठकर भी इसे ऑपरेट किया जा सकता है.
ऑपरेशन सिंदूर में चीन और पाकिस्तान की तकनीक को एक साथ धूल चटाई. एंटी ड्रोन सिस्टम ने एक भी अटैक को सफल नहीं होने दिया. भारत की स्वदेशी कंपनियां तो झंडे गाड़ ही रही हैं, भारतीय सेना ने जो FPV ड्रोन बनाया है वह कामिकाजी एंटी टैंक म्यूनिशन से लैस है.