
दंतेवाड़ा l नक्सलगढ़ मूलेर ग्राम पंचायत में पहली बार हुआ लोकतंत्र का उत्सव. ग्रामीणों ने बढ़ चढ़कर किया मतदान। अब यहां पर भी नक्सलियों के गनतंत्र पर लोकतंत्र की हुई जीत। नियद नेल्ला नार योजना ने बदल दी गांव की तस्वीर।
दंतेवाड़ा जिले का मूलेर ग्राम पंचायत, जो अब तक लोकतांत्रिक प्रक्रिया से वंचित था, इतिहास रच दिया है। यह गांव, जो संवेदनशील क्षेत्र के रूप में जाना जाता है, देश की आजादी के बाद पहली बार पंचायत चुनाव संपन्न हुए। इस चुनाव में ग्रामीणों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि अब वे लोकतंत्र की मुख्यधारा से जुड़ने के लिए तैयार हैं। ग्राम पंचायत मूलेर में आजादी के बाद पहली बार मतदान में शामिल ग्रामीण ने नक्सलियों के खौफ को दरकिनार करते हुए लोकतंत्र की स्याह को अपनी उंगलियों में बड़ी खूबसूरती से लगवाया अब अति संवेदनशील नक्सल के इलाकों में भी नक्सलियों के गनतंत्र पर लोकतंत्र की जीत होते दिख रही है

गांव की जनसंख्या और मतदान प्रक्रिया
मूलेर ग्राम पंचायत की कुल जनसंख्या 464 है, जिसमें से 197 लोग मतदाता के रूप में पंजीकृत हैं। इनमें 100 महिलाएं और 97 पुरुष शामिल हैं। महिलाओं की इतनी बड़ी संख्या में भागीदारी यह दर्शाती है कि अब वे भी अपने अधिकारों को लेकर जागरूक हो रही हैं। ग्राम पंचायत मूलेर इससे पहले ग्राम पंचायत नहाड़ी का आश्रित ग्राम हुआ करता था यहां के मतदान केन्द्र को 30 किलोमीटर दूर अरनपुर गांव में शिफ्ट कर दिया जाता था इसलिए यहां के लोग कभी भी मतदान पर क्रिया में भाग नहीं ले पाए थे। लेकिन इस बार मूलेर को अलग पंचायत का दर्जा प्राप्त हुआ इसलिए यहां पर 1952 के बाद पहली बार मतदान हुआ जिसमें लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।

निर्विरोध हुआ सरपंच और पंच का चुनाव
लोकतंत्र की सबसे अनूठी तस्वीर उस समय देखने को मिली जब ग्राम पंचायत सरपंच और पंच पदों के लिए निर्विरोध चुनाव हुआ। यह दिखाता है कि गांव के लोग आपसी सहमति से विकास की दिशा में आगे बढ़ना चाहते हैं।
जिला पंचायत और जनपद पंचायत चुनाव में दिखा उत्साह

जहां ग्राम पंचायत स्तर पर निर्विरोध निर्वाचन हुआ, वहीं जिला पंचायत और जनपद पंचायत चुनाव में ग्रामीणों ने जोश के साथ अपने मताधिकार का प्रयोग किया। मतदान केंद्रों पर सुबह से ही लोगों की लंबी कतारें देखी गईं, जिससे स्पष्ट हुआ कि ग्रामीण अब अपने नेतृत्व के चयन के प्रति गंभीर हैं।

सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासन की भूमिका
मूलेर गांव के संवेदनशील होने के कारण प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए थे। सुरक्षाबलों की तैनाती से मतदान शांतिपूर्ण और निष्पक्ष माहौल में संपन्न हुआ। अधिकारियों ने भी मतदान केंद्रों का दौरा किया और मतदाताओं को निर्भीक होकर मतदान करने के लिए प्रेरित किया। निर्वाचन आयोग द्वारा यहां पर सेक्टर अधिकारी की अलग से नियुक्ति की साथ ही मतदान केंद्र के दलों का गठन कर गांव में बेहद ही सुरक्षा के बीच में भेजा गया चुनाव के दौरान यहां पर सुरक्षाकर्मियों की भी मौजूदगी रही चप्पे चप्पे पर सुरक्षाबलों की मौजूदगी में ग्रामीणों ने स्वस्थ लोकतंत्र की स्थापना के लिए मूलेर गांव में मतदान किया।