लोकतांत्रिक अधिकारों से भी वंचित ग्रामीण, 15 किमी दूर जाकर डालते हैं वोट…

गरियाबंद l _देशभर में चुनावी माहौल गर्म है, लेकिन क्या हो अगर आपको वोट डालने के लिए 15 किलोमीटर दूर जाना पड़े? छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में एक ऐसा गांव है, जहां लोकतंत्र का उजाला अभी भी नहीं पहुंचा है।

गरियाबंद जिले के ग्राम पंचायत इंदागांव के अमली ग्राम के निवासी हर चुनाव में लोकतंत्र के पर्व में हिस्सा लेने के लिए 15 से 25 किलोमीटर की दूरी तय करते हैं। जंगलों और उबड़-खाबड़ रास्तों से और दो नदियों के बीच से गुजरकर, कभी ओडिशा के रास्ते से तो कभी ट्रैक्टर में राशन लेकर ये मतदाता मतदान केंद्र तक पहुंचते हैं। मतदान दिवस का सुबह का इंतजार करते हैं और अपने लिए बनाए गए खाने को खाकर सुबह अपने परिवार के लिए खाना बचा के रखते हैं और फिर मतदान वाले दिन ,महिलाओं के द्वारा खाना खाने के पश्चात वोट देने जाते हैं और फिर वहीं से ट्रैक्टर के माध्यम से अपने अपने घर वापस जाने कि यह दृश्य देख , हमें अभी भी यह शंका होता है कि, क्या अभी भी हम आजादी के अमृत महोत्सव मानने वाले देश में रहते हैं ?

विडंबना यह है कि जिले में ऐसे कई मतदान केंद्र हैं जहां मात्र 15-20 मतदाताओं के लिए मतदान केंद्र की व्यवस्था की गई है, लेकिन अमली ग्राम के कमार भुजिया जनजाति के लोग अपने अधिकार के लिए आज भी संघर्ष कर रहे हैं।

लोकतंत्र की असली ताकत लोगों की भागीदारी में होती है। अमली ग्राम के लोग हर मुश्किल को पार कर मतदान करने जाते हैं, लेकिन क्या यह प्रशासन की ज़िम्मेदारी नहीं कि उन्हें उनका बुनियादी अधिकार मिले?