कैरेबियाई क्रिकेटर के बेटे राय बेंजामिन ने पेरिस में रचा इतिहास, 2 गोल्ड जीतकर बनाया ओलंपिक रिकॉर्ड
Paris Olympics 2024: वेस्टइंडीज के पूर्व तेज गेंदबाज विंस्टन बेंजामिन के बेटे राय बेंजामिन ने यहां पेरिस ओलंपिक में इतिहास रच दिया। अपने पिता की तरह क्रिकेटर ना बनकर राय ने एथलेटिक्स को चुना और पेरिस ओलंपिक में अमेरिका का प्रतिनिधित्व करते हुए पुरुषों की 400 मीटर बाधा दौड़ में स्वर्ण पदक जीत लिया। राय ने यहां विश्व चैंपियन नॉर्वे के कार्स्टन वारहोल्म को पीछे छोड़कर 46.46 सेकंड में यह रेस जीत ली। वारहोल्म 47.06 सेकंड के साथ रजत पदक जीत पाए। इससे पहले राय ने अमेरिका की टीम के साथ 4 गुणा 400 मीटर रिले रेस का स्वर्ण पदक भी जीता। उन्होंने क्रिस्टोफर बेली, वर्नोन नॉरवुड और ब्राइस डेडमॉन के साथ मिलकर 2 मिनट 54.43 सेकंड का ओलंपिक रिकॉर्ड बनाया।एंटीगुआ व बारबुडा से भी खेले
राय का जन्म न्यूयॉर्क में हुआ था। करियर की शुरुआत में वह एंटीगुआ और बारबुडा का प्रतिनिधित्व करते थे, लेकिन फिर वे अमेरिका चले गए और वहीं से अपने एथलेटिक्स naga788 करियर को ऊंचाइयों पर पहुंचाया। वहीं राय के पिता विंस्टन बेंजामिन 1986 से 1995 के बीच वेस्टइंडीज टीम का हिस्सा थे। तेज गेंदबाज विंस्टन ने 21 टेस्ट और 85 वनडे खेले थे। इसमें उनके नाम 161 विकेट हैं। विंस्टन ने 1987 में भारत के खिलाफ दिल्ली में अपने टेस्ट करियर का आगाज किया था।
मैं बहुत भाग्यशाली हूं कि मेरे पिता मुझे समझते हैं: राय
एक साक्षात्कार में राय ने अपने परिवार और पालन-पोषण को लेकर बात की थी। राय ने कहा था, मैं बहुत भाग्यशाली हूं कि मेरे पिता मुझे समझते हैं। उन्होंने कहा, मेरा परिवार मुझे समझता है कि मैं क्या चाहता हूं, उन्होंने कभी अपनी पसंद मुझ पर नहीं थोपी। वे जानते हैं कि मैं रोजाना उनसे बात नहीं कर सकता। मेरे माता-पिता जानते हैं कि सफल होने के लिए त्याग करना और अपनी प्यारी चीजों को अलग रखना कितना अहम होता है।
पदक का रंग बदलना जरूरी था
राय ने कहा, पेरिस में मेरे लिए पदक का रंग बदलना जरूरी था। वारहोल्म 2019 और 2022 विश्व चैंपियनशिप और टोक्यो ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता थे, जबकि इन तीनों मौकों पर राय ने रजत पदक जीता था, ऐसे में वे इस बार मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहते थे। राय ने कहा, अंतिम 200 मीटर में मैंने देखा कि वारहोल्म आगे निकल गए हैं, लेकिन मैंने खुद को शांत रखा और पूरी कोशिश की कि मैं यहां से रजत नहीं स्वर्ण पदक लेकर घर जाऊं।