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राज्यपाल एवं छत्तीसगढ़ के कुलाधिपति ने प्रदेश के राजकीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ बैठक की और उनसे उच्च शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए रोडमैप प्रस्तुत करने को कहा..

राज्यपाल एवं छत्तीसगढ़ के कुलाधिपति ने हाल ही में प्रदेश के राजकीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ अहम बैठक की और उनसे उच्च शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए स्पष्ट और व्यावहारिक रोडमैप प्रस्तुत करने को कहा है। यह बैठक राजभवन में आयोजित की गई, जिसमें राज्य के प्रमुख विश्वविद्यालयों के कुलपति, उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारी और विशेषज्ञ शामिल हुए।


🔷 बैठक के मुख्य बिंदु:

1. शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार का आह्वान:

राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों से आग्रह किया कि वे केवल डिग्री वितरण केंद्र न बनें, बल्कि ज्ञान, शोध और नवाचार के केंद्र बनें। इसके लिए उन्होंने स्पष्ट कहा कि:

“विश्वविद्यालयों को अब गुणवत्ता के मापदंडों पर खरा उतरना होगा।”

2. रोडमैप प्रस्तुत करने के निर्देश:

सभी कुलपतियों को अपने-अपने विश्वविद्यालयों के लिए एक सघन कार्ययोजना (Action Plan) तैयार कर जल्द से जल्द राजभवन को प्रस्तुत करने को कहा गया, जिसमें निम्नलिखित शामिल हो:

  • शिक्षण गुणवत्ता में सुधार
  • NAAC मानकों की पूर्ति
  • पाठ्यक्रमों का अद्यतीकरण (Curriculum Upgradation)
  • डिजिटल शिक्षण संसाधनों का समावेश
  • रिसर्च आउटपुट बढ़ाना और पेटेंट पर जोर
  • प्लेसमेंट और उद्योग से सहयोग की रणनीति

3. शोध व नवाचार पर बल:

राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों को छात्रों में जिज्ञासा, शोध भावना और व्यावहारिक दृष्टिकोण विकसित करने पर बल देना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत जो बदलाव अपेक्षित हैं, उन्हें जल्द लागू किया जाए।

4. समयबद्ध सुधार की मांग:

राज्यपाल ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि केवल रिपोर्ट देने से काम नहीं चलेगा, बल्कि अब परिणाम आधारित क्रियान्वयन चाहिए।


📌 राज्यपाल के वक्तव्य के प्रमुख अंश:

“छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना विश्वविद्यालयों की नैतिक व संवैधानिक जिम्मेदारी है। यह केवल अकादमिक नहीं, बल्कि सामाजिक दायित्व भी है।”
“विश्वविद्यालयों में केवल पुस्तकीय ज्ञान नहीं, बल्कि व्यावहारिक कौशल और जीवन मूल्यों को भी सिखाना चाहिए।”


👉 भविष्य की कार्ययोजना (संभावित सुझाव):

क्र.सुधार क्षेत्रसुझाव / अपेक्षित कदम
1.शिक्षकों का प्रशिक्षणनियमित FDP व रिसर्च सहयोग
2.पाठ्यक्रम अद्यतनइंडस्ट्री-अकादमिक इंटरफेस
3.प्लेसमेंट सेलMOU, इंटर्नशिप, स्टार्टअप सहयोग
4.शोध संस्कृतिछात्रवृत्तियाँ, रिसर्च फंडिंग
5.डिजिटल संसाधनों का उपयोगई-लर्निंग प्लेटफार्म्स

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