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सुप्रीम कोर्ट से लालू प्रसाद यादव को नहीं मिली राहत…

 बिहार की राजनीति के दिग्गज और पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव को कानूनी मोर्चे पर एक और झटका लगा है। “लैंड फॉर जॉब” घोटाले में उन्हें सुप्रीम कोर्ट से तत्काल कोई राहत नहीं मिल पाई है। शीर्ष अदालत ने निचली अदालत में चल रही कार्यवाही पर रोक लगाने से साफ इनकार कर दिया है, जिससे लालू यादव की मुश्किलें और बढ़ गई हैं।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि वह इस वक्त मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा। अदालत ने सिर्फ इतना कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट इस याचिका की सुनवाई में तेजी लाए। यानी अब इस केस की अगली अहम सुनवाई 12 अगस्त को दिल्ली हाईकोर्ट में होगी। फिलहाल लालू को निचली अदालत में व्यक्तिगत पेशी से छूट दी गई है, लेकिन कानूनी शिकंजा अभी ढीला नहीं हुआ है।

क्या है लैंड फॉर जॉब‘ घोटाला?

यह मामला उस वक्त का है जब लालू यादव 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्रालय की कमान संभाल रहे थे। आरोप है कि इस दौरान रेलवे में ग्रुप ‘डी’ की भर्तियों के बदले कई लोगों से उनके परिवार के नाम पर जमीनें लिखवा ली गईं। आरोपों के मुताबिक, ये नियुक्तियां बिना किसी विज्ञापन या प्रक्रिया के की गई थीं और जमीन को रिश्वत के रूप में स्वीकार किया गया।

लालू परिवार के खिलाफ क्या हैं सबूत?

आरोप पत्र के अनुसार लालू परिवार के पास ऐसी सात संपत्तियों का कब्जा है, जो सीधे तौर पर इस घोटाले से जुड़ी हुई मानी जा रही हैं। वहीं, मनी लॉन्ड्रिंग के तहत 600 करोड़ रुपये की राशि को लेकर भी जांच एजेंसियों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। फिलहाल मामला अदालत में है, लेकिन इसके राजनीतिक और कानूनी प्रभाव लंबे समय तक बने रहने तय हैं।

कानूनी संकट बना सियासी सिरदर्द

यह मामला न केवल लालू प्रसाद यादव बल्कि उनके पूरे राजनीतिक परिवार की साख पर भी असर डाल रहा है। मौजूदा वक्त में जब बिहार की राजनीति में समीकरण बदल रहे हैं, ऐसे में यह केस विपक्ष के लिए बड़ा हथियार बनता जा रहा है। अब देखना यह होगा कि लालू इस कानूनी चक्रव्यूह से कैसे निकलते हैं।

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