विकास उपाध्याय का वार- निर्वाचन आयोग के माध्यम चुनाव जीतने का प्रयास करती है भाजपा, पुरंदर मिश्रा का पलटवार- कार्यक्रम में लोगों को पैसा देकर बुलाया..

रायपुर में कांग्रेस के पूर्व विधायक विकास उपाध्याय और बीजेपी विधायक पुरंदर मिश्रा के बीच ‘वोट चोरी / वोटर अधिकार रैली’ को लेकर तीखी बात-बात हुई। विकास उपाध्याय ने भाजपा पर चुनाव आयोग का दुरुपयोग कर चुनाव जीतने का आरोप लगाया, जबकि पुरंदर मिश्रा ने रैली पर लोगों को पैसे देकर बुलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि कई लोगों को पैसे नहीं दिए गए — और दोनों तरफ से राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं।
विकास उपाध्याय के दावे — क्या कहा गया?
विकास उपाध्याय का कहना है कि लोकसभा/राज्य स्तरीय चुनावों में अनियमितताओं की सूचनाएँ सामने आ रही हैं और भाजपा निर्वाचन आयोग के माध्यम से निहित स्वार्थ साधने की कोशिश कर रही है — इसका मतलब यह लगाया गया कि चुनावी प्रक्रियाओं पर दबाव बनाकर नतीजे प्रभावित करने की कोशिशें हो रही हैं। ये आरोप सार्वजनिक तरीके से उठाए गए और मीडिया में रिपोर्ट हुए।

भाजपा / पुरंदर मिश्रा का पलटवार
भाजपा विधायक पुरंदर मिश्रा ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस की ‘वोटर अधिकार रैली’ में लोगों को 300-300 रुपए देकर बुलाया गया — और साथ में ये भी कहा गया कि कई लोगों को भुगतान भी नहीं हुआ, यानी जनता का शोषण किया जा रहा है। साथ ही पुरंदर ने राहुल गांधी और कांग्रेस पर तीखे शब्दों में हमले भी किए — ये बयान-बाज़ी हाल के राजनीतिक वाक़यों में जुड़ी हुई रिपोर्टों में दिखती है।
रायपुर नगर निगम — नेता प्रतिपक्ष विवाद (संदीप साहू बनाम आकाश/तिवारी)
इस खबर में बताया गया कि रायपुर नगर निगम में नेता-प्रतिपक्ष के पद को लेकर भी आंतरिक विवाद चल रहा है — पहले संदीप साहू को कहा गया, बाद में पार्टी-स्रोतों की तरफ से आकाश तिवारी नाम आया, जिससे पार्षदों में असंतोष और कुछ इस्तीफों जैसी घटनाएँ भी सामने आईं। यह मुद्दा स्थानीय कांग्रेस की अंदरूनी सेट-अप और स्थानीय राजनीति की समसामयिक असहमति का संकेत है।
बिजली बिल और प्रदर्शन की घोषणा
विकास उपाध्याय ने कहा है कि प्रदेश में बढ़ते बिजली बिल और ‘मुफ्त बिजली’ योजना के दावों के बीच जनता परेशान है — इसे लेकर कांग्रेस बड़ा प्रदर्शन करने की तैयारी में है। यह भी अगला राजनीतिक मुद्दा बन सकता है, खासकर अगर उपभोक्ता असंतोष जमीन पर दिखे।
कानूनी/प्रोसीजरल संदर्भ — ‘पैसे देकर लोगों को बुलाना’ क्या अपराध है?
- चुनावी संदर्भ में वोटर को पैसे/भेट देकर प्रभावित करना या वोट-खरीद का प्रयास Representation of the People Act, 1951 की ‘corrupt practices’ श्रेणी में आ सकता है (Section 123 आदि)। यह गंभीर पारदर्शिता-उल्लंघन माना जाता है।
- साथ में Election Commission का Model Code of Conduct (MCC) भी ऐसे व्यवहार पर रोक लगाता है और चुनावी शालीनता बरकरार रखने के निर्देश देता है।
आगे क्या हो सकता है — प्रक्रियात्मक सम्भावनाएँ
- शिकायत/इन्वेस्टिगेशन: ऐसी कोई प्रमाणिक शिकायत (वीडियो, गवाह, बैंक-ट्रांजैक्शन, रजिस्टर) मिलने पर Election Commission के स्थानीय/राज्य ऑफिसर, Flying Squads या Expenditure Observers कार्रवाई की रिपोर्ट कर सकते हैं। गंभीर पाया गया तो FIR/अन्य कानूनी कार्यवाही हो सकती है।
- राजनीतिक असर: दोनों पार्टियाँ इस मुद्दे को ज़ोर-शोर से उठाएँगी — मीडिया-फोकस और जनमत पर असर पड़ेगा; स्थानीय पार्षदों के इस्तीफे/सदस्य-कलह का असर पार्टी के लिए नकारात्मक भी हो सकता है।
- प्रकाश्य/सबूत की भूमिका ज़रूरी है: सार्वजनिक आरोपों पर EC/पुलिस तभी कार्रवाई करते हैं जब सुस्पष्ट सबूत हों — महज़ आरोपों पर मीडिया-बवाल तो बनेगा पर कानूनी कार्रवाई सीमित रह सकती है जब तक ठोस एविडेंस.
यदि आप नागरिक हैं — रिपोर्ट कैसे करें (उपलब्ध विकल्प)
- cVIGIL: ECI की मोबाइल ऐप जिससे आप मॉडेल कोड ऑफ कंडक्ट उल्लंघन, वोट-खरीद आदि की रिपोर्ट कर सकते हैं।
- ECI National Grievance Service Portal / Chief Electoral Officer (राज्य) / District Election Officer को शिकायत भेजकर भी मामला दर्ज कराया जा सकता है। स्थानीय Returning Officer/DEO को लिखित शिकायत फास्ट-ट्रैक करती है।
निष्कर्ष (छोटी सी):
मामला अब राजनीति-रैली से बढ़कर संस्थागत आरोप-प्रत्यारोप तक पहुंच गया है — विकास उपाध्याय ने चुनावी प्रक्रियाओं पर सवाल उठाए हैं जबकि भाजपा ने रैली पर पैसों के आरोप लगाए हैं। अगला चरण यह होगा कि क्या किसी पक्ष के पास ठोस सबूत (रिकॉर्ड, वीडियो, बैंक ट्रांज़ैक्शन, गवाह) आकर Election Commission/पुलिस को दी जाती है — तभी कानूनी तह पर जाँच और कार्रवाई संभावित है।