
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में एक ऐतिहासिक घटना का जिक्र करते हुए देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और कांग्रेस की नीतियों पर तीखा हमला बोला है. पीएम मोदी ने बताया कि आखिर क्यों 25 अक्टूबर 1937 को जवाहरलाल नेहरू ने आनन-फानन में कलकत्ता (अब कोलकाता) की फ्लाइट पकड़ी थी और कैसे उसी यात्रा ने ‘वंदे मातरम’ के भविष्य को बदल दिया. पीएम मोदी के भाषण के मुताबिक, यह यात्रा सामान्य नहीं थी, बल्कि मुस्लिम लीग के तुष्टिकरण के लिए राष्ट्रगीत के ‘टुकड़े’ करने की एक कवायद थी.

जिन्ना की धमकी और नेहरू का ‘डोलता सिंहासन’
प्रधानमंत्री ने घटनाक्रम समझाते हुए कहा कि 1937 में वंदे मातरम के प्रति मुस्लिम लीग का विरोध चरम पर था. 15 अक्टूबर 1937 को मोहम्मद अली जिन्ना ने लखनऊ से वंदे मातरम के खिलाफ आवाज बुलंद की. पीएम ने कहा, जिन्ना के इस विरोध के बाद कांग्रेस अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू को अपना सिंहासन डोलता हुआ दिखाई दिया. कायदे से नेहरू को लीग के आधारहीन बयानों का करारा जवाब देना चाहिए था, लेकिन उन्होंने उल्टा वंदे मातरम की ही ‘पड़ताल’ शुरू कर दी.
बोस को लिखी चिट्ठी और जिन्ना से सहमति
इतिहास का हवाला देते हुए पीएम ने बताया कि जिन्ना के विरोध के महज 5 दिन बाद, 20 अक्टूबर को नेहरू ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को एक चिट्ठी लिखी. इसमें उन्होंने जिन्ना की भावनाओं से सहमति जताते हुए लिखा कि ‘वंदे मातरम’ की आनंदमठ वाली पृष्ठभूमि मुसलमानों को भड़का सकती है.



