मध्यप्रदेश

मध्यप्रदेश में डॉ. मोहन यादव के दो साल: शांत नेता से निर्णायक मुख्यमंत्री तक का सफर

मध्यप्रदेश की सियासत में डॉ. मोहन यादव के मुख्यमंत्री के रूप में दो साल पूरे होना सिर्फ एक कार्यकाल की समय-सीमा नहीं है, बल्कि यह नेतृत्व के रूपांतरण की कहानी भी है। इन दो वर्षों में उन्होंने न केवल प्रशासनिक ढांचे को नई दिशा दी, बल्कि अपनी राजनीतिक पहचान को भी ऐसी मजबूती प्रदान की, जिसकी गूंज अब प्रदेश की सीमाओं से बाहर तक सुनाई देने लगी है।

कभी संगठन के एक शांत, सरल और संस्कारी नेता के रूप में पहचाने जाने वाले मोहन यादव आज एक तेज़, निर्णायक और बोल्ड फैसले लेने वाले मुख्यमंत्री की छवि के साथ उभरे हैं। सत्ता संभालने के शुरुआती दौर में जहां उनसे संतुलन और समन्वय की अपेक्षा की जा रही थी, वहीं आज वे सख्त फैसलों और स्पष्ट रणनीति के लिए जाने जाते हैं।

नक्सलवाद से लेकर कानून-व्यवस्था तक सख्त रुख

मोहन यादव सरकार ने नक्सलवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए इसे जड़ से खत्म करने का दावा किया है। कानून-व्यवस्था को लेकर बनाई गई स्पष्ट रणनीति और प्रशासनिक सख्ती ने सरकार के इरादों को साफ कर दिया। इन फैसलों ने मुख्यमंत्री की राजनीतिक शैली को नई परिभाषा दी—जहां संवाद है, लेकिन निर्णय में कोई ढिलाई नहीं।

महिला–किसान–युवा केंद्रित राजनीति

इन दो वर्षों में सरकार के फैसलों का केंद्र महिला, किसान और युवा रहे हैं। योजनाओं के माध्यम से सामाजिक संतुलन साधने के साथ-साथ सरकार ने यह संकेत भी दिया कि विकास केवल आंकड़ों का खेल नहीं, बल्कि ज़मीनी असर का विषय है।

विकास का रोडमैप: बड़े प्रोजेक्ट, बड़ा संदेश

नदी जोड़ो अभियान से लेकर शिप्रा स्नान योजना, मेट्रो प्रोजेक्ट से लेकर मेडिकल कॉलेजों के विस्तार, औद्योगिक निवेश से लेकर GIS तकनीक के इस्तेमाल तक—मोहन सरकार ने विकास को कागज़ से निकालकर ज़मीन पर उतारने की कोशिश की है।

  • गंभीर–खान कनेक्शन जैसे नवाचारों से सिंचाई का दायरा बढ़ा
  • 800 करोड़ रुपये की शिप्रा योजना ने सिंहस्थ-2028 की मजबूत नींव रखी
  • मेट्रो परियोजनाओं की प्रगति ने शहरों को अगले दशक की रफ्तार से जोड़ने का भरोसा दिया

इन परियोजनाओं ने न केवल इंफ्रास्ट्रक्चर को गति दी, बल्कि डॉ. मोहन यादव की छवि को “विकास के निर्णायक चेहरे” के रूप में भी स्थापित किया।

एक मुख्यमंत्री से आगे की पहचान

दो साल पहले जिस संयमी और संगठनशील नेता को प्रदेश ने मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठते देखा था, आज वही नेता एक कठोर निर्णय लेने वाले, असरदार और आत्मविश्वासी नेतृत्व के रूप में सामने है। मोहन यादव ने इन दो वर्षों में खुद को सिर्फ एक प्रशासक नहीं, बल्कि प्रदेश की सियासत को नया टेंपो देने वाले नेता के रूप में दर्ज कराया है।

कुल मिलाकर, मोहन यादव के दो साल यह संकेत देते हैं कि मध्यप्रदेश की राजनीति अब एक ऐसे दौर में प्रवेश कर चुकी है, जहां तेज़ फैसले, बड़े प्रोजेक्ट और सख्त प्रशासन नेतृत्व की पहचान बनते जा रहे हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button