टेक्नोलॉजीवायरल

ट्रैफिक में कहां से आए लाल-हरी बत्ती वाले ट्रैफिक सिग्नल

दुनियाभर में ट्रैफिक लाइट का इस्तेमाल किया जाता है. अगर ट्रैफिक लाइट न हों तो भीड़-भाड़ वाली सड़कों का बुरा हाल हो जाएगा और पूरे शहर की ट्रैफिक अव्यवस्थित हो जाएगी. ट्रैफिक सिग्नल जंप करने के जुर्म में अक्सर हजारों रुपये के चालान कटते हैं. अगर ट्रैफिल सिग्नल न होता तो चालान भी नहीं कटता. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है आखिर ये ट्रैफिक सिग्नल आए कहां से और इसे सबसे पहले किसने बनाया.

 वाहनों को सुचारू रूप से चलाने के लिए एक ट्रैफिक सिस्टम की कमी महसूस होने लगी. सड़कों पर वाहनों को व्यवस्थित करने की इसी जरूरत ने ट्रैफिक सिग्नल को जन्म दिया जिसका मकसद मुख्य चौक-चौराहों पर चलने वाले वाहनों को निश्चित अंतराल पर रोक कर सड़क पर ट्रैफिक को कम करना था.

ट्रैफिक लाइट का आइडिया 1868 में लंदन से आया. उस दौर में लंदन में घोड़े, बग्गी और इक्के चलते थे. इनसे सड़के भरी रहती थीं. ऐसे में सकड़ पर पैदल चलने वालों को काफी समस्या होने लगी. सबसे ज्यादा मुसीबल भीड़-भाड़ वाले इलाके पार्लियामेंट स्कायर पर होती थी. भीड़ इतनी ज्यादा होती थी कि पुलिस भी ट्रैफिक मैनेज नहीं कर पाती थी. इस समस्या से निपटने के लिए ट्रैफिक सिग्नल लगाने का आइडिया आया. पहली ट्रैफिक लाइट लंदन के रेलवे क्राॅसिंग पर 1868 में लगाई गई थी. ये लाइट गैस से चलती थी और इसमें केवल दो कलर रेड और ग्रीन ही थे. रेड लाइट से रुकने और ग्रीन से चलने का संदेश दिया जाता था. इस ट्रैफिक लाइट को पुलिस कर्मी मैनुअली ऑपरेट करता था. धीरे-धीरे यूरोप के अन्य देशों और अमेरिका में भी ट्रैफिक लाइट की शुरूआत हुई.

1912 में अमरीका के यूटा प्रांत के साल्ट लेक सिटी में बिजली से चलने वाली पहली ट्रैफिक लाइट लगाई गई थी. पुलिसकर्मी लेस्टर वायर ने पहली बार इलेक्ट्रिक ट्रैफिक लाइट बनाई थी. इस सिग्नल में रेड और ग्रीन लाइट शामिल थी. फिर साल 1920 में पहली बार ट्रैफिक लाइट में पीले रंग की लाइट को जोड़ा गया. तब से ट्रैफिक सिग्नल में तीन रंग की लाइट हो गई.

भारत में ट्रैफिक लाइट का इतिहास लगभग 80 से 100 साल पुराना है. देश में 20वीं सदी से मध्य में ट्रैफिक सिग्नल का इस्तेमाल शुरू हो चुका था. इसके बाद से ट्रैफिक लाइट में कई तरह से बदलाव किए जा चुके हैं. आजकल पूरी तरह ऑटोमैटिक ट्रैफिक सिग्नल लगाए जा रहे हैं. आज भारत के लगभग हर शहर में ट्रैफिक लाइट का इस्तेमाल किया जा रहा है.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button