ट्रिपल तलाक मामले में MP हाईकोर्ट ने कहा- देश समान नागरिक संहिता की आवश्यकता को समझे, अंधविश्वास पर रोक लगेगी
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने सोमवार देश में समान नागरिक संहिता की आवश्यकता पर जोर दिया. कोर्ट में तीन तलाक मामले की सुनवाई चल रही थी. समान नागरिक संहिता (UCC) भारत में नागरिकों के व्यक्तिगत कानूनों को बनाने और लागू करने का एक प्रस्ताव है जो सभी नागरिकों पर उनके धर्म की परवाह किए बिना समान रूप से लागू होते हैं. वर्तमान में विभिन्न समुदायों के व्यक्तिगत कानून उनके धार्मिक ग्रंथों द्वारा शासित होते हैं. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने सोमवार को तीन तलाक से जुड़े मामले पर सुनवाई के दौरान समान नागरिक संहिता का पक्ष लेते हुए टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा- ‘समय आ गया है कि अब देश समान नागरिक संहिता की आवश्यकता को समझे. समाज में आज भी आस्था और विश्वास के नाम पर कई कट्टरपंथी, अंधविश्वासी और अति-रूढ़िवादी प्रथाएं प्रचलित हैं. इससे अंधविश्वास और बुरी प्रथा पर रोक लगेगी.’बड़वानी के राजपुर की रहने वाली मुस्लिम महिला ने पति के खिलाफ तीन तलाक का केस दर्ज कराया था. इसके अलावा पति समेत सास और ननद पर naga788 दहेज प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया था. तीनों आरोपियों पर तीन तलाक और दहेज प्रताड़ना की धाराओं में केस दर्ज किया गया था. इसे निरस्त करने के लिए इंदौर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. जिसमें तर्क दिया गया था कि तीन तलाक की धारा सिर्फ पति के खिलाफ लगाई जा सकती है. सास और ननद के खिलाफ नहीं. वे इसके लिए जवाबदेह नहीं हैं
.कोर्ट ने बताई UCC की जरूरत
कोर्ट ने आरोपी पति को कोई राहत नहीं दी है. जस्टिस अनिल वर्मा ने ट्रिपल तलाक को गंभीर मुद्दा बताते हुए कहा कि तीन तलाक में शादी को कुछ ही सेकेंड में तोड़ा जा सकता है और समय वापस नहीं लाया जा सकता. दुर्भाग्य की बात है कि यह अधिकार केवल पति के पास है और अगर पति अपनी गलती सुधारना भी चाहे तो निकाह हलाला के अत्याचारों को महिला को ही झेलना पड़ता है। कोर्ट ने समान नागरिक संहिता की आवश्यकता बताते हुए कहा कि आस्था और विश्वास के नाम पर प्रचलित कट्टरपंथी प्रथाओं पर अंकुश लगाने के लिए ‘समान नागरिक संहिता’ की जरूरत है.