छत्तीसगढ़ में सुरक्षाकर्मियों की आत्महत्याओं ने खड़े किए कई सवाल…

छत्तीसगढ़ में सुरक्षाकर्मियों की आत्महत्याओं को लेकर नए आंकड़े सामने आने के बाद एक बार फिर यह सवाल गहराने लगा है कि आखिर जवान ऐसी स्थिति में क्यों पहुंचते हैं? बीते साढ़े छह साल में 177 सुरक्षाकर्मी खुद अपनी जान ले चुके हैं। इनमें बीएसएफ, आईटीबीपी और राज्य पुलिस के जवान शामिल हैं।ता का विषय बन चुका है। मानसिक दबाव, पारिवारिक तनाव और लंबी ड्यूटी को इसकी मुख्य वजह बताया जा रहा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे समय तक नक्सल इलाकों में तैनाती, परिवार से दूर रहना, स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां और व्यक्तिगत तनाव इसके पीछे बड़ी वजहें हैं। हालांकि सरकार की ओर से कल्याणकारी गतिविधियां चलाई जा रही हैं, लेकिन आंकड़ों के मुताबिक यह पर्याप्त नहीं लगतीं।
जवानों के बीच क्या कहते हैं हालात?
राजधानी रायपुर से लेकर बस्तर के कैंपों तक जवानों के बीच बात करने पर साफ होता है कि मानसिक दबाव और छुट्टी नहीं मिलने की समस्या सबसे ज्यादा बड़ी है। एक जवान ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कई बार छोटी-छोटी बातें भी दिमाग पर असर डालती हैं। ऊपर से पारिवारिक परेशानी अलग।
सरकारी जवाब से क्या समझ आया?
राज्य विधानसभा में गृह विभाग ने जो आंकड़े पेश किए, उसमें हर घटना के पीछे की बात कही गई है। जांच में यह भी सामने आया कि कई बार अचानक गुस्से में जवान गोली चला देते हैं, जो हत्या के मामलों में शामिल हो जाता है।
सुरक्षा विशेषज्ञों और मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि जवानों के लिए नियमित काउंसलिंग, परिवार से बातचीत के लिए ज्यादा अवसर, और ड्यूटी शिफ्ट में बदलाव जैसे कदम जरूरी हैं।